OPS चाहिए कि NPS, हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों से 60 दिन में मांगा विकल्प, SOP जारी

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आवाज़ ए हिमाचल

शिमला। हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) चाहिए या राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस), इसके लिए सरकार ने कर्मचारियों से 60 दिनों के भीतर विकल्प मांगा है। इसके लिए कर्मचारियों को एक निश्चित प्रारूप पर अंडरटेकिंग देनी होगी। पुरानी पेंशन योजना का यह लाभ एक अप्रैल 2023 से मिलेगा अगर इस तिथि से पहले कोई सेवानिवृत हुआ है तो उसे पिछला एरियर नहीं मिलेगा। पुरानी पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के वक्त सरकारी अंशदान और लाभांश जमा करने का भी पेच रहेगा। लंबे इंतजार के बाद हिमाचल प्रदेश में वित्त विभाग ने ओपीएस लागू करने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी कर दिया है। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने गुरुवार को इस संबंध में कार्यालय आदेश जारी कर दिए।

यह कार्यालय आदेश वित्त विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के साथ जारी किए गए है। कर्मचारियों को अपने विकल्प विभागाध्यक्ष के माध्यम से निश्चित प्रारूप पर देने होंगे। सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि जो कर्मचारी एनपीएस में रहना चाहते हैं, उनका केंद्रीय एजेंसी पीएफआरडीए के लिए शेयर कटता रहेगा। अगर किसी ने निर्धारित समय में विकल्प नहीं दिया तो उसे एनपीएस में ही रखा जाएगा। जो कर्मचारी ओपीएस में कवर होंगे, उन कर्मचारियों को भी सामान्य भविष्य निधि केंद्रीय सेवा नियम 1960 के तहत कवर किया जाएगा। अगर कोई कर्मचारी एनपीएस को अपनाता है तो उनका अप्रैल का एनपीएस शेयर जमा होगा, जो अभी जमा नहीं किया गया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारी की ओर से नई व पुरानी पेंशन योजना के लिए दिया गया विकल्प अंतिम व अपरिवर्तनीय माना जाएगा। यदि कोई कर्मचारी निर्धारित अवधि के भीतर किसी विकल्प का इस्तेमाल करने में विफल रहता है तो यह माना जाएगा कि वह नई पेंशन योजना में जारी रहना चाहता है।

एनपीएस का विकल्प चुनने वाले कर्मियों का अंशदान जमा होता रहेगा

अगर किसी ने निर्धारित समय में विकल्प नहीं दिया तो उसे एनपीएस में ही रखा जाएगा। जो कर्मचारी ओपीएस में कवर होंगे, उन कर्मचारियों को भी सामान्य भविष्य निधि केंद्रीय सेवा नियम 1960 के तहत कवर किया जाएगा। अगर कोई कर्मचारी एनपीएस को अपनाता है तो उनका अप्रैल का एनपीएस शेयर जमा होगा, जो अभी जमा नहीं किया गया है।

पेंशन लाभ के लिए ये शर्त
जो कर्मचारी एनपीएस के तहत कवर होंगे और जो पहले से ही सेवानिवृत्त हो गए हैं या उनकी मृत्यु 15 मई, 2003 से 31 मार्च, 2023 के बीच हो गई है या जो केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 के तहत लागू प्रावधानों को पूरा करते हैं, ऐसे सेवानिवृत्त कर्मचारी और मृतक कर्मचारी के पात्र पारिवारिक सदस्य भावी तिथि से पेंशन पाने के हकदार होंगे। इसके लिए निर्धारित प्रपत्र पर विकल्प और अंडरटेकिंग देनी होगी। इसके लिए सरकारी अंशदान और लाभांश को उन्हें जमा करना होगा।

…तो कर्मचारी पेंशन लेने का नहीं होगा हकदार

अगर कोई कर्मचारी ओपीएस में आना चाह रहा है, लेकिन इस अंशदान और लाभांश को सरकारी खाते में जमा करने में असफल होगा और अगर वह इस राशि को ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट और जीआईएस के विरुद्ध जमा करने में भी पूरी तरह से सफल नहीं हो पाता है तो ऐसा कोई भी कर्मचारी केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियमों के तहत किसी पेंशन को लेने का हकदार नहीं होगा।

ऐसे मिलेगा पेंशन व जीपीएफ का लाभ

सीसीएस पेंशन नियम 1972 और सामान्य भविष्य निधि केंद्रीय सेवा नियम, 1960 के तहत लाभों को विनियमित करने की प्रक्रिया वही होगी, जो 14 मई 2003 को या उससे पहले नियुक्त कर्मचारियों और इन नियमों पर लागू होती है। उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए जरूरी परिवर्तनों का पालन किया जाएगा। ऐसे सरकारी कर्मचारी जिन्होंने ओपीएस को चुना है, उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा, मगर इसके लिए उन्हें सरकारी अंशदान और अर्जित लाभांश को सरकारी खाते में जमा करना होगा। सरकारी अंशदान को उन्हें पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ के कंट्रीब्यूशन एंड रिकवरी हेड में जमा करना होगा।

 डेढ़ लाख परिवारों को होगा फायदा

कर्मचारी वर्ग हमेशा मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का ऋणी रहेगा। जो एसओपी कर्मचारी मांग रहे थे, उसी ओपीएस को बहाल किया है। यह ऐतिहासिक फैसला है। इस तरह का फैसला लेने के लिए प्रदेश को सुक्खू जैसे मुख्यमंत्री की ही दरकार थी। यह एक बहुत बड़ा फैसला है जो प्रदेश के डेढ़ लाख परिवारों को फायदा पहुंचाएगा और आने वाली पीढ़ी को भी इस फैसले से फायदा होगा -प्रदीप ठाकुर, नेशनल पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष  

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