आवाज ए हिमाचल
24 नवंबर। नमंश को याद कर हर कोई बार-बार भावुक हो रहा था। लोगों ने बताया कि जब भी वे अपने पैतृक गांव आते तो रोजाना बुजुर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते। हमेशा सादा जीवन जीना पसंद करते। घर पर छुट्टी के दौरान वह हमेशा गांव के बच्चों को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते थे।दुबई में एयर शो के दौरान तेजस क्रैश में जान गंवाने वाले नमंश स्याल वायु सेना में बड़े अधिकारी होने के बाद भी अपने संस्कारों को तवज्जो देते थे। जब भी वे अपने पैतृक गांव आते तो रोजाना बुजुर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते। हमेशा सादा जीवन जीना पसंद करते। घर पर छुट्टी के दौरान वह हमेशा गांव के बच्चों को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते, साथ ही नशे जैसी बुराइयों से भी दूर रहने के लिए कहते।जब भी घर या गांव में शादी या अन्य समारोह होता तो वह धाम में लोगों के जूठे पत्तल और गिलास उठाने से भी परहेज नहीं करते थे। किसी भी काम में लोगों के साथ हाथ बंटाने में हमेशा तैयार रहते। नमंश स्याल अपने गांव और रिश्तेदारों के चहेते थे। गांव में छुट्टी के दौरान वह शॉर्ट्स और शर्ट में अक्सर नजर आते। उन्हें देखकर लगता ही नहीं था कि वह वायु सेना में इतने बड़े अधिकारी हैं। नमंश हर किसी के कितने चहेते थे, यह रविवार को वायु सेना के उनके साथियों की आंखों में देखने को मिला। नमंश की याद में हर किसी की आंख नम दिखी।ग्रामीण अशोक कुमार ने बताया कि नमंश बेहद ही मिलनसार व्यक्ति थे। गांव के शादी या अन्य समारोह में नमंश पूरा काम करते। जूठे पत्तल और गिलास उठाते। उनके जैसा बेटा हर गांव को मिले, जिससे गांव का सुधार हो सके।रिश्तेदारी में उनके जीजा अशोक कुमार ने बताया कि नमंश का जाना देश के साथ ही क्षेत्र के लिए क्षति है। नमंश जैसे बेटा मिलना हर किसी के लिए गर्व भी बात है। नमंश लोगों के साथ ही पशुओं से भी काफी लगाव रखते थे। जब घर आते तो गोशाला में पशुओं के साथ भी काफी समय बिताते।नमंश युवाओं को हमेशा भारतीय सेना में भर्ती होकर देश सेवा के लिए प्रेरित करते। हर किसी को उन पर गर्व है। अंतिम बार करीब चार माह पहले अपनी बेटी के साथ गांव आए और एक माह तक यहीं रहे। किसने नहीं सोचा था कि यह उनके साथ आखिरी मुलाकात होगी।