Inspirational : कभी मां के साथ धर्मशाला की गलियों में मांगती थी भीख, अब बन गई MBBS

Spread the love

YyYy

आवाज ए हिमाचल

ब्यूरो, धर्मशाला। जिनका हौंसला हो आसमाँ छूने का वो परवाह नहीं करते ज़मीं पर गिर जाने की… ये पंक्तियाँ सही बैठती है धर्मशाला की पिंकी हरयान पर! एक समय वो था जब पिंकी अपनी माँ के साथ पेट की आग यानी भूख को शांत करने के लिए रोज़ाना भीख माँगती थी और एक समय आज है जब पिंकी ने डॉक्टर की पढ़ाई पूरी कर दूसरों के लिए मिसाल पेश की है।

बता दें कि पिंकी धर्मशाला की चरान खड्ड के साथ झुग्गियों में परिवार के साथ रहती थी और मां भीख मांगकर गुजारा करती थी।

अगर मन में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो मुश्किल से मुश्किल राह भी आसान हो जाती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला की पिंकी हरयान ने। धर्मशाला मैक्लोडगंज में भगवान बुद्ध के मंदिर के पास साढ़े चार साल की उम्र में मासूम पिंकी हरयान कभी अपनी मां के साथ पेट की आग यानी भूख को शांत करने के लिए भीख माँगा करती थी लेकिन भगवान बुद्ध की करुणा और दया के अनुयायी तिब्बती शरणार्थी जामयांग ने भीख मांगने और कूड़ा बीनने वाले बच्चों के साथ पिंकी को भी अपना बच्चा समझकर 2004 में नई जिंदगी दी थी- अब ठीक 20 साल बाद पिंकी मरीजों की सेवा करने के लिए तैयार हैं।

दरअसल पिंकी एमबीबीएस की कठिन पढ़ाई पूरी कर डॉक्टर बन चुकी है। टोंग-लेन चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक और निदेशक जामयांग ने पिंकी को 2018 में चीन के एक प्रतिष्ठित मेडिकल विश्वविद्यालय में दाखिला दिलाया था वहीं अब छह साल की एमबीबीएस की डिग्री पूरी करके पिंकी धर्मशाला लौट आई है और पिंकी जल्द एक डॉक्टर के तौर पर मरीजों का इलाज करेंगी। पिंकी ने ख़ुद अपने संघर्ष व सफलता की कहानी को बयां किया है
वहीं जामयांग ने बताया कि टोंग-लेन एक छोटी चैरिटी है जो धर्मशाला के आसपास के इलाकों में विस्थापित भारतीय समुदायों के साथ काम करती है। ज्यादातर परिवार झुग्गी-झोपड़ियों में हताशा की स्थिति में रहते हैं। टोंग-लेन का उद्देश्य इन बेघर समुदायों को बुनियादी मानवाधिकारों तक पहुंच प्राप्त करने में मदद करना है।
आज पिंकी जिस तरीक़े से दूसरों के लिए मिसाल बनी है ये सच में अद्भुत है। इससे हमें एक सीख भी मिलती है कि आपका भाग्य कभी भी बदल सकता है कभी हार नहीं माननी चाहिए। 2004 में जहां पिंकी कभी पेट की भूख को शांत करने के लिए भीख माँगती थी वहीं आज पिंकी डॉक्टर बन गई है।

जानकारी के अनुसार, तिब्बती शरणार्थी भिक्षु जामयांग ने पिंकी की जिंदगी पूरी तरह से बदल दी। मैक्लोडगंज की टोंग-लेन चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक और निदेशक जामयांग ने पिंकी को साल 2018 में चीन के एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलवाई थी। यहां पर छह साल तक एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद पिंकी धर्मशाला लौटी हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *