आवाज ए हिमाचल
21 जनवरी। अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षक महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने किसान आंदोलन और किसानों की मांगों को लेकर भारत सरकार के कृषि मंत्री एवं प्रधानमंत्री द्वारा नकारात्मक रूख एवं उन्हें नजरअंदाज करने पर नाराजगी व्यक्त की है।उन्होंने कहा कि किसान देश का अन्नदाता है और देश की भूख को मिटाता है ऐसे में यदि किसान बिल पर किसानों को आपत्ति है तो उस बिल को निरस्त करने में सरकार को कोई दिक्कत भी नहीं होनी चाहिए।
आज तक भी किसानों के द्वारा ही अन्न पैदा किया जा रहा है और देश के सभी व्यक्तियों की भूख को किसानों के माध्यम से शांत किया जाता आ रहा है ना की किसी इंडस्ट्री या बड़ी कंपनियों के माध्यम से यह पूर्ति संभव है।संघ ने हैरानी व्यक्त की भारत सरकार को इतना नकारात्मक रूप नहीं अपनाना चाहिए। जिस तरह से किसानों ने अपने हितो को सुरक्षित करने के लिए हड़ताल कर रखी है, जो कि 2 महीने से लगातार चल रही है। भारत के प्रधानमंत्री को उसका संज्ञान लेना चाहिए और उसे खत्म करने में आगे आना चाहिए। 26 जनवरी को जिस तरह से किसानों ने जय जवान जय किसान के नारे को चरितार्थ करते हुए दिल्ली मे अपना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।
वह सही एवम लोकतांत्रिक निर्णय और उसको अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षक महासंघ सही व जायज ठहराता है।डेमोक्रेसी के अंदर भारत देश डेमोक्रेटिक देश में हमारे संविधान में किसी भी व्यक्ति , किसी भी जाति विशेष, किसी भी संगठन और किसी भी समुदाय को अपनी आवाज को बुलंद करने का संवैधानिक अधिकार है और अपने हितों की रक्षा करने के लिए किसी भी तरह का प्रोटेस्ट वह संघर्ष करने के लिए स्वतंत्र है इस परिवेश में किसान संगठनों ने जो निर्णय लिया है वह सकारात्मक एवं दूसरे संगठनों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत है।सभी संगठनों को वह चाहे किसान संगठन है या फिर कर्मचारी संगठन है हम सबको अपने हितों की रक्षा के लिए सभी छोटे-मोटे मतभेदों को भुलाकर एक मंच पर खड़ा होकर अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए तभी किसी भी सरकार से लड़ने में और अपनी बात को बनवाने में हम सफल हो सकते हैं अंत में अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षक महासंघ खुले तौर पर किसान संगठनों के साथ खड़ा है और उनकी मांग को जायज ठहराते हुए उनके द्वारा किए जा रहे संघर्ष व प्रदर्शन को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से इसे सफल बनाने में अपना भरपूर सहयोग देने का एलान करता है।