आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा,बिलासपुर
05 फरवरी।भाषा सहोदरी हिंदी (न्यास) एवम् भारतीय उच्चायोग दुबई (यूएई) के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किए गए दसवें अंतरराष्ट्रीय हिंदी अधिवेशन में ललिता कश्यप उर्फ रणजीत कोर को सहोदरी सम्मान से अलंकृत किया गया।ललिता हिमाचल प्रदेश की एकमात्र महिला साहित्यकार हैं,जिन्हें यह सम्मान मिला है।बिलासपुर जिले की निवासी होने के कारण बिलासपुर भी इस से गर्वित है। यह आयोजन 22,23 जनवरी, 2024 को भारतीय उच्चायोग दुबई के सभागार में किया गया। जिसमें देश विदेश के भारतीय प्रवासी एवम भारत के 26 राज्यों से 150 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस समारोह के मुख्य अतिथि दुबई के भारतीय काउंसलेट के काउंसलेट जनरल सतीश कुमार सिवन थे, विशिष्ट अतिथि हर एक्सीलेंसी मैडम लैला रेहाल गुडविल एम्बेसडर, सुश्री तारु मामू उप काउंसलेट दुबई, संस्था के संस्थापक जयकांत मिश्र एवं मुख्य प्रबंधक मीना चौधरी की देखरेख में संपन्न हुआ।कार्यक्रम की सूत्रधार रही दुबई की साहित्यकार स्नेहा देव एवं भारत की डॉक्टर शालिनी शुक्ला और कार्यक्रम के अंत में डॉक्टर कुमकुम कपूर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम की शुरुआत भारत के राष्ट्रगान के साथ हुई। दीप प्रज्जवलन के पश्चात दुबई की ज्योति कला द्वारा सुमधुर सरस्वती वंदना ,मीनू बाला मल्होत्रा द्वारा भारत के विभिन्न राज्यों का नृत्य पेश किया गया। दुबई की छात्राओं ने भी भरतनाट्यम नृत्य से समा बांध दिया। कार्यक्रम के तीन सत्र में सभी प्रतिभागियों ने हिंदी व्याख्यान पर अपने प्रपत्र पेश किए और काव्य पाठ भी हुआ।भारतीय दूतावास के कंसिलेट जेनरल ने सभी प्रतिनिधियों को प्रमाण पत्र दिया और दिल से आभार व्यक्त करते हुए सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया।
ललिता कश्यप डॉक्टर डीआर कश्यप की धर्मपत्नी हैं जो गांव सायर डाकखाना डोभा सदर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हैं।इनका जन्म जिला कुल्लू में हुआ। इनके पिता दलीप सिंह स्वतंत्रता सेनानी आजाद हिन्द फौज के सैनिक थे। माता गृहणी थी। आरंभिक पढ़ाई भुंतर स्कूल में हुई।इन्होंने बिलासपुर के एक निजी माध्यमिक विद्यालय (अखण्ड ज्योति विद्या पब्लिक स्कूल) में 16वर्ष अध्यापन का कार्य किया ।
ललिता कश्यप का साहित्यिक सफर
ललिता कश्यप की साहित्यिक यात्रा 1996 से आरंभ हुई। रणजीत कौर नाम था,लेकिन साहित्यिक नाम ललिता कश्यप रखा। हर विधा में लेखन कार्य जैसे अनेक छंदों व अलंकारों से सुसज्जित रचनाएं, ललित निबंध,अनेक यात्रा संस्मरण, अनेक विषयों पर सुंदर लेख ,अनेक विषयों पर शोध लेख लिख कर समाज सुधारक के रूप में रचनाएं रची। जैसे – बेटियों पर हो रहे अत्याचार, जात-पात, धर्म विरुद्ध , बुजुर्गों पर अत्याचार, देश भक्ति पर अपनी कलम द्वारा सुधारक लेख व रचनाओं द्वारा संदेश। हिमाचल दूरदर्शन व आकाशवाणी से तथा सरकारी गैर सरकारी समाचार पत्रों में अनेंकों बार रचनाओं का प्रकाशन व प्रसारण भी हुआ। भाषा एवं कला संस्कृति विभाग द्वारा हिमाचल के सभी जिलों के क्षेत्रों के नामकरण के शोध कार्यों में भी सेवा का सुअवसर मिला और उस शोध पुस्तक में कर्मठता से कार्य। लोक संस्कृति व रीति -रिवाजों का भी संरक्षण करना।
उपलब्धियां
भारत साहित्य संगम दिल्ली की ओर से सेकिंड लेफ्टिनेंट पुरस्कार तथा साहित्य विदूषी पुरस्कार।आराधना अंतरराष्ट्रीय साहित्य समूह से आराधना साहित्य सम्मान।अखिल भारतीय जिज्ञासा काव्य मंच से श्रेष्ठ चित्रमणी सम्मान।भरत साहित्य मंडल लोहारगढ़ रायगढ़ छत्तीसगढ़ से साहित्य साधना सेवा समर्पण सम्मान।
नव प्रज्ञा काव्य फाउंडेशन (रजि०)मध्यप्रदेश शासन से नारी रत्न सम्मान।अंतराष्ट्रीय विराट कवि सम्मेलन में विशिष्ट कवयित्री सम्मान।
अखिल भारतीय जिज्ञासा काव्य मंच की ओर से भक्ति भूषण सम्मान। भारत के विभिन्न राज्यों से लगभग 200 उत्कृष्ट सम्मान पत्र। साहित्य के उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करने के लिए राजस्थान में ग्लोवल एक्सीलेंस अवार्ड।
ललिता कश्यप के साथ मंडी जिले के पंडोह गांव के निवासी साहित्यकार और लेखक लेखराज माही भी गए थे, उन्हें भी दुबई में सम्मानित किया गया