आवाज ए हिमाचल
21 जनवरी। कहा जाता है कि जिला ऊना में अगर कोई आए तो भूखे पेट यहां से न जाए। यह कहावत ऊना को खास बनाती है। वैसे तो जिले में कुछ धार्मिक स्थल हैं, जहां मुफ्त लंगर की व्यवस्था में पीड़ित मानवता को भर पेट खाना मिल रहा है, लेकिन दो वर्ष पूर्व महादेव मंदिर के गद्दीनशीन संत मंगलानंद महाराज के प्रयास से पीड़ित मानवता के लिए ऐसी लंगर सेवा शुरू हुई, जो अपने आप में अनूठी है। देश में पिछले साल जब कोरोना महामारी के कारण विपदा शुरू हुई तो गुरु का लंगर सेवा समिति ने जरूरतमंदों की सेवा के लिए अपने हाथ बढ़ाए और लोगों की सेवा में जुटे कर्मचारियों, जिले में रह रहे अन्य राज्यों के लोगों, ट्रेन से प्रदेश में आने वाले लोगों व कोविड ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों को डिब्बा बंद खाना पहुंचाया। समिति की ओर से लॉकडाउन में लगभग दो लाख 82 हजार खाने के पैकेट वितरित किए गए। अब भी प्रतिदिन लगभग पांच सौ पैकेट क्षेत्रीय अस्पताल ऊना परिसर में लगने वाले लंगर में मरीजों सहित तीमारदारों एवं जरूरतमंदों के बीच में वितरित किए जा रहे हैं।
गुरु के सपने को सेवकों ने किया साकार
महादेव कोटला मंदिर के गद्दीनशीं स्वामी मंगलानंद जी ने वर्ष 2019 में समाजसेवी अश्वनी जैतक, दिनेश गौतम सहित राजीव से अपने मन की बात साझा करते हुए क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में लंगर की सेवा शुरू करने की बात कही। गुरु के कहने पर अमल करते हुए इन सेवकों ने दो सितंबर, 2019 से लंगर की सेवा शुरू की और तब से लेकर यह सेवा निरंतर जारी है। इस सेवा में ट्रस्ट के चेयरमैन मंगलानंद महाराज, अध्यक्ष अश्वनी जैतक, उपप्रधान दिनेश गुप्ता, महासचिव राजीव सहित 11 सदस्य नि:स्वार्थ भाव से जुटे हैं। इसके अलावा बेटियों की शिक्षा के लिए भी सहायता प्रदान कर रहे हैं।गुरु का लंगर सेवा समिति की ओर से सप्ताह के छह दिन क्षेत्रीय अस्पताल ऊना के परिसर में दोपहर दो घंटे तक लंगर चलाया जा रहा है। लंगर की तमाम व्यवस्था का जिम्मा समिति के सदस्य बखूबी निभा रहे हैं।
दानी सज्जन कर रहे अंशदान
गुरु का लंगर समिति के अध्यक्ष अश्वनी जैतक ने बताया कि आम दिनों में लंगर सेवा समिति के सदस्य लंगर के लिए अंशदान करते हैं। कुछ समाजसेवी भी गुप्तदान के रूप में 2100-5100 रुपये लंगर के लिए सेवा करते हैं, जिससे यह सेवा निरंतर चल रही है। दूसरी ओर कई दानी सज्जन ऐसे भी हैं जो अपने जन्मदिन, शादी की सालगिरह या किसी स्वजन की याद में लंगर सेवा अस्पताल पहुंच करते हैं। लंगर सेवा के लिए प्रशासन की तरफ से समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस पर प्रशस्ति पत्र भी दिया जा चुका है।