आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ के सभी सदस्यों ने शुक्रवार को भी काले बिल्ले लगाकर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा। यह चिकित्सकों के विरोध प्रदर्शन का दूसरा दिन है जिसने की की प्रदेश की सभी स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत चिकित्सकों ने एकजुट होकर भाग लिया। हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ बिलासपुर जिला के महासचिव डा प्रदीप शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि हिमाचल में अनुबंध पर नियुक्त चिकित्सकों को पूरे भारतवर्ष में सबसे कम वेतन 33660 दिया जा रहा है।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने संघ को आश्वासन दिया था कि चिकित्सकों की अग्रिम भर्ती में उनकी वेतन के साथ एनपीए को जोड़ा जाएगा, लेकिन धरातल पर उनके वचनों का निरादर हुआ है इस संदर्भ में संघ के सभी सदस्य हैरान है और काले बिल्ले लगाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अन्य विभागों की तुलना में चिकित्सकों की प्रमोशन के बहुत ही कम पद स्वीकृत है इस संदर्भ में उन्हें केंद्र सरकार की तर्ज पर डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम दी जाए, जोकि अन्य राज्यों में जैसे कि बिहार मध्य प्रदेश में केंद्र सरकार की तर्ज पर लागू की गई है।
वहीं, प्रमोशन की बात ले तो स्वास्थ्य विभाग में कई वर्षों से खंड चिकित्सा अधिकारियों मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, सीनियर मेडिकल सुपरीटेंडेंट, डिप्टी डायरेक्टर और डायरेक्टर ऑफ़ हेल्थ सर्विसेज के पद वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर नहीं भरे गए हैं। विभाग कई वर्षों से चिकित्सकों की वरिष्ठता सूची बनाने में असमर्थ रहा है जिसके चलते समय अनुसार प्रमोशंस नहीं हो रही है। रेगुलर प्रमोशन ना होने के कारण सेवानिवृत्ति मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को सेवा विस्तार दिया जा रहा है ऐसा करने से अन्य चिकित्सकों का वर्षों के इंतजार के बाद पदोन्नति का हक भी छीना जा रहा है। कई स्वास्थ्य संस्थान आज की दिनांक में बिना किसी चिकित्सक के चल रहे हैं जहां अन्य स्वास्थ्य संस्थानों से डेपुटेशन लगाई जा रही है इसके चलते प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य की स्थाई सुविधा उन संस्थानों में प्राप्त नहीं हो रही है।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय का आभारी है कि उन्होंने युवाओं को रोजगार देने का वादा किया है लेकिन स्वास्थ्य विभाग में अभी तक विभिन्न मेडिकल कॉलेज से उत्तीर्ण हुए एमबीबीएस छात्रों में किसी एक को भी अब तक कोई रोजगार प्राप्त नहीं हुआ है इससे युवा चिकित्सकों में भी अपने भविष्य को लेकर चिंता और मानसिक प्रताड़ना का माहौल बन गया है। बेरोजगार चिकित्सकों को इस प्रकार घर में बैठे देख उनके परिवारजन भी बेहद दुखी है।
प्रदेश में योग्य चिकित्सक उपलब्ध होने के बाद भी सैकड़ो स्वास्थ्य स्थानों में चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं करना प्रदेश की जनता के हित में भी नहीं है। कई सामुदायिक स्वास्थ्य केदो में केवल दो ही चिकित्सकों के स्वीकृत है जहां इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड की तहत 10 चिकित्सकों के पदों के साथ-साथ स्वास्थ्य के अन्य कर्मचारियों के पदों को भी स्वीकृति होनी चाहिए। ऐसा करने से न केवल प्रदेश की जनता को और बेहतरीन सेवाएं बल्कि युवाओं को भी रोजगार प्राप्त होगा।