आवाज ए हिमाचल
शिमला। बहुचर्चित मानव भारती विश्वविद्यालय फर्जी डिग्री केस में एस.आई.टी. ने अंतिम चार्जशीट अदालत में पेश कर दी है। इसके तहत 10 से अधिक लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें विश्वविद्यालय के मालिक राजकुमार राणा, उसकी पत्नी सहित अन्य आरोपी शामिल हैं। कुछ दिनों पहले ही ये चालान अदालत में पेश किया गया है। डिग्री मामले की जांच को लेकर सरकार ने 19 सदस्यों की एक एस.आई.टी. का गठन किया था। लंबे समय से जांच टीम मामले की छानबीन में जुटी हुई थी। वहीं जांच में पाए गए तथ्यों के आधार पर मानव भारती एजुकेशन ट्रस्ट के भी सभी खातों को पहले ही अटैच किया चुका है। इसके अलावा ई.डी. 194.17 करोड़ की संपत्ति को भी जब्त कर चुकी है। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में रह रही मुख्य आरोपी राज कुमार राणा की पत्नी को स्वदेश लाने के प्रयास भी जारी है।
इसके तहत लुक आऊट नोटिस भी जारी करवाया गया है। जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने एजैंटों के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों के साथ ही विदेशों में भी फर्जी डिग्रियां बेची। इस अवैध धंधे को अंजाम देकर मानव भारती चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर हिमाचल, राजस्थान और अन्य स्थानों पर भारी मात्रा में चल व अंचल संपत्ति अर्जित की गई है। फर्जी डिग्री बेचने से जुड़े इस केस को लेकर 3 आपराधिक मामले अभियोग संख्या 22/20, 26/20 व 27/20, जेल धारा 420, 467, 468 व 120-बी भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत थाना धर्मपुर जिला सोलन में पंजीकृत किए गए थे। विश्वविद्यालय पर कथित रूप से 36 हजार से अधिक फर्जी डिग्रियां बेचने के आरोप हैं। इस मामले में कई गिरफ्तारियां भी एस.आई.टी. द्वारा की जा चुकी हैं।
आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत
पुलिस एस.आई.टी. का दावा है कि आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। फोरैंसिक लैब जुन्गा से फाइनल रिपोर्ट मिलने के बाद एस.आई.टी. ने अपनी चार्जशीट काे अंतिम रूप दिया है। जांच में उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ के तथ्य भी सामने आए हैं। आरोप है कि डिग्रियां बेचने का यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2010 से चल रहा था। आरोप यह भी है कि विश्वविद्यालय ने ऐसे कोर्स भी करवा दिए जिनकी वि.वि. प्रबंधन ने अनुमति ही नहीं ली थी।