आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश के चार नगर निगम में चुनाव के मद्देनजर वीरवार को एक बड़ा बदलाव किया है। सरकार ने नगर निगम अधिनियम-1994 की धारा 4 की उपधारा में संशोधन कर स्थानीय विधायकों को वोटिंग राइट प्रदान किया है। इसको लेकर शहरी विकास सचिव की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके तहत मेयर-डिप्टी मेयर के चुनाव में विधायक अब वोट कर सकेंगे। इस फैसले से अब स्थानीय विधायक जो अभी तक पार्षद होते थे उनके और निर्वाचित पार्षद के अंतर को अब खत्म कर दिया गया है। राज्य के धर्मशाला, पालमपुर, मंडी व सोलन नगर निगम में मेयर-डिप्टी मेयर के चुनाव होने हैं, ऐसे में सरकार के विधायकों को वोटिंग राइट देने के फैसले को काफी अहम माना जा रहा है।
सरकार की ओर से एक्ट में किए गए संशोधन से अब सियासी पारा भी बढ़ गया है। पहले विधयकों को वोटिंग राइट नहीं दिए गए थे लेकिन अब सरकार ने चुनाव से ठीक पहले कानूनी राय का हवाला देते हुए विधायकों को निगम चुनाव में वोटिंग राइट प्रदान कर दिया है। प्रदेश सरकार द्वारा डीसी मंडी को 21 अक्तूबर को भेजी गई क्लैरिफिकेशन में नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में बोर्ड का अधिकार नहीं था लेकिन शहरी विकास विभाग के विशेष सचिव द्वारा शहरी विकास निदेशक को भेजे गए पत्र में विधायक को वोट का अधिकार दिया गया है।
12 अक्तूबर को समाप्त हो चुका है मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल
विदित रहे कि प्रदेश सरकार ने नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के कार्यकाल को 12 अक्तूबर को समाप्त कर दिया था। 13 अक्तूबर को डीसी मंडी और डीसी सोलन में विधायक को वोट को लेकर सरकार से क्लैरिफिकेशन मांगी थी। विधायक को वोट का अधिकार मिलने से सबसे ज्यादा फायदा मंडी में भारतीय जनता पार्टी को हुआ है क्योंकि वहां पर 3 विधायक मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में वोट कर सकते हैं। मंडी नगर निगम में 3 मंडी सदर, बल्ह व द्रंग विधानसभा क्षेत्र हैं। कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल सोलन नगर निगम है। उधर, इससे सोलन नगर निगम में कांग्रेस को फायदा हुआ है।