आवाज ए हिमाचल
रायपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने गुजारा भत्ता के एक मामले में महासमुंद की फैमिली कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें साक्ष्य के रूप में मोबाइल फोन की रिकार्डिंग का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा है कि संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना टेलीफोन पर बातचीत रिकार्ड करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है। वकील वैभव ए. गोवर्धन ने बताया कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की सिंगल जज बैंच ने कहा है कि संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना टेलीफोन पर बातचीत रिकार्ड करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है। वकील गोवर्धन ने बताया कि याचिकाकर्ता (पत्नी) द्वारा गुजारा भत्ता देने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत आवेदन दायर किया गया था, जो 2019 से महासमुंद की फैमिली कोर्ट के समक्ष लंबित है।
याचिकाकर्ता महिला ने इससे संबंधित साक्ष्य अदालत में पेश किए थे। वहीं, दूसरी तरफ महिला के पति ने अपनी पत्नी के चरित्र पर संदेह के आधार पर गुजारा भत्ता देने से मना किया था। उसने फैमिली कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दाखिल किया और कहा कि याचिकाकर्ता की बातचीत उसके मोबाइल फोन पर रिकार्ड की गई है। पति उक्त बातचीत के आधार पर अदालत के समक्ष उससे जिरह करना चाहता था।