सी.यु. में पांच दिवसीय कार्यशाला का समापन
आवाज़ ए हिमाचल
ब्यूरो, शाहपुर। प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान (परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार) और हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहयोग से 9 से 13 अक्टूबर तक प्लाज्मा (पदार्थ की चौथी अवस्था) विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर एक कार्यशाला प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रदर्शनी का आयोजन शाहपुर परिसर कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में हुआ है। आईपीआर (प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान, गांधीनगर), भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत एक सहायता प्राप्त अनुसंधान एवं विकास संस्थान है, जिसे प्लाज्मा, इसके अनुप्रयोगों (सामाजिक अनुप्रयोगों सहित) के साथ-साथ प्लाज्मा के क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास करने में महारत है। आईपीआर भारत की घरेलू एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिसर्च प्रोजेक्ट (आईटीईआर) के लिए भारत की प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगी, जिसे फ्रांस में 7 देशों की मेगा-विज्ञान परियोजना के रूप में स्थापित किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य पहला फ्यूजन रिएक्टर बनाना है जो बड़े स्तर पर प्लाज्मा-आधारित संलयन प्रतिक्रिया से ऊर्जा उत्पादन करेगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा उत्पादन, चिकित्सा, एयरोस्पेस, कृषि, अपशिष्ट प्रबंधन, सामग्रियों के औद्योगिक उपचार और यहां तक कि ऊर्जा उत्पादन तक में इसका व्यापक ऊपयोग है। सीयु में आईपीआर द्वारा आयोजित कार्यशाला एवं प्रदर्शनी में प्लाज्मा, इसके अनुप्रयोगों और परमाणु संलयन के 25 से अधिक माॅडल दिखाई गयी, जो के आईपीआर से लायी गयी। सुपरकंडक्टर आधारित चुंबकीय उत्तोलन, उच्च आवृत्ति प्लाज्मा, परमाणु संलयन का उपयोग करके ऊर्जा उत्पादन का पद्धति, स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक पंप का उपयोग करते हुए बहुत कम तापमान पर काम करने वाली मशीन, कपड़ा, चिकित्सा और अपशिष्ट प्रबंधन में प्लाज्मा के ऊपयोग, हिमाचल के आंगोरा उल के गुणवत्ता वढाने वाले प्लाज्मा तकनिक, आदी कई चीज़े विभिन्न स्कूल, कालेज से आई प्रतिभागी यों दिखाई गयी। प्रदर्शनी में आने वाले छात्र प्लाज्मा विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अद्भुत दुनिया को देखने और समझने का जीवन भर न भूलने वाला अनुभव प्राप्त कर रहे हैं।
आईपीआर के इस वैज्ञानिक आउटरीच कार्यक्रम में, हिप्रकेविवि के 80 से अधिक शोधार्थी, बीएससी और एमएससी भौतिकी के छात्रों को आईपीआर टीम द्वारा चयनित किया गया और उन्हें आने वाली जनता को विभिन्न प्लाज्मा प्रदर्शनों को समझाने के लिए प्रशिक्षित किया गया। इस आयोजन के हिस्से के रूप में विज्ञान शिक्षकों के लिए प्लाज्मा और इसके अनुप्रयोगों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।
आईपीआर टीम में आईपीआर के आउटरीच डिवीजन के प्रमुख डॉ. ए वी रवि कुमार के नेतृत्व में आये 7 वैज्ञानिक सुश्री छाया चावड़ा, वैज्ञानिक-एच, सुश्री हर्षा मच्छर, वैज्ञानिक-ई, चेतन जरीवाला, वैज्ञानिक-जी, राहुल विश्वकर्मा, वैज्ञानिक-डी, आनंद कुमार, वैज्ञानिक-डी, गौरव जोगी, वैज्ञानिक-एफ को आज समारोप कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पालमपुर स्थित सी.एस.आई.आर.-आई.एच.बी.टी. के निर्देशक, डॉ सुदेश कुमार यादव, मुख्य वक्ता, आईजर, कोलकाता के निर्देशक डॉ. प्रशांत कुमार पाणीग्राही, विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर अम्बरीश कुमार महाजन, करतार धीमान, एच.ए.एस., आईएपीटी के उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर ओ.एस.के.एस. शास्त्री, अधिष्ठाता प्रोफेसर राजेश कुमार, कार्यशाला संयोजक डॉ. गौरीशंकर साहु के द्वारा प्रतिक चिन्ह देते हुए सम्मानित किया गया।
डॉ सुदेश कुमार यादव अपने वक्तव्य में वोले के हमारे ब्रह्माण्ड के लगभग 99 प्रतिशत भाग प्लाज्मा हैं, लेकिन हम इ सके विषय में जानते नहीं है। प्लाज्मा अनुसंधान कृषि क्षेत्र को नयी दिशा दे सकता है। डॉ. प्रशांत कुमार पाणीग्राही अपने वक्तव्य में आईपीआर के काम को सराहनीय बताते हुए क्वाण्टम कम्युटेसन कैसे कण विज्ञान और क्वार्क-ग्लुअन प्लाज्मा के तात्विक शोध को नयी दिशा दे सकता है।
करतार कर्तार धीमान, एच. ए. एस. रीसर्च उपकरणों को आम आदमी के पास लाकर युवाओं को शोध के प्रति आकर्षित करने वाले आईपीआर के यह आउटरीच कार्यक्रम को सराहनीय बताते हुए युवा शोधार्थीयों को अपने कैरीयर के लिए प्रेरित किया। डी.एस.डव्ल्यु., प्रोफेसर अंबरीश कुमार महाजन प्लाज्मा तकनीक हरित उर्जा विकसित करने के सामर्थ्य रखता है और यह हमारी परिवेश को नष्ट होने से बचा सकता है। समारोप कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर ओ.एस.के.एस. शास्री स्वागत वक्तव्य में बोले कि इस कार्यक्रम में लगभग 2200 प्रतिभागी भाग लेना अपने आप में एक नया कीर्तिमान है।
कार्यक्रम संयोजक तथा पावर वीम सोसाइटी आफ इण्डिया का राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. गौरीशंकर साहु ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। माननीय कुलपति प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम हो सका। डॉ. पवन हीरा, डॉ. विकास आनंद, डॉ आलोक पाण्डे, डॉ राजेश कुमार सिंह, डॉ सुरेन्द्र, सुदम चरण साहु समेत कार्यसमिति के सारे सदस्य इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रोफेसर राजेश कुमार, डॉ गौरीशंकर साहु ने सभी को धन्यवाद दिया। राष्ट्रगान के उपरांत कार्यक्रम समापन हुआ।