आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। पीडब्ल्यूडी के सामने बड़ा आर्थिक संकट आ गया है। जिन ठेकेदारों की मदद से विभाग सडक़ें बहाल कर रहा था, उन्हें भुगतान के लिए पीडब्ल्यडी के पास बजट नहीं है। इसके अलावा पूर्व के प्रोजेक्टों का भुगतान भी फंस गया है। विभाग की कई बड़ी परियोजनाएं भी आर्थिक संकट की वजह से फंसती हुई नजर आ रही हैं। पीडब्ल्यूडी को अतिरिक्त बजट की जरूरत है और इसकी बड़ी उम्मीद विभाग ने केंद्र सरकार से लगा रखी है, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार से विभाग को बजट नहीं मिल पा रहा है। विभाग ने 366 करोड़ रुपए का आकलन केंद्र सरकार को भेजा है। इसमें 272 करोड़ राज्य आपदा के तहत और 94 करोड़ रुपए पुलों को हुए नुकसान की एवज में प्रस्तावित किए गए हैं, लेकिन अभी तक इस बजट का प्रावधान विभाग को नहीं हो पाया है। इससे पुलों के निर्माण और ठेकेदारों के भुगतान में देरी हो रही है। विभाग को राज्य के ठेकेदारों को करीब 350 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान करना है। गौरतलब है कि विभाग ने 11 पुलों को 94 करोड़ रुपए का आकलन बनाकर केंद्र सरकार को भेजा है। प्रदेश में करीब 116 पुल बरसात की वजह से धराशायी हुए हैं और इनमें से 19 पुल पूरी तरह से टूट कर बह चुके हैं। इन पुलों को दोबारा बनाने में पीडब्ल्यूडी को करीब 118 करोड़ रुपए की जरूरत है।
विभाग ने इस जरूरत को देखते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के दौरे के बाद 94 करोड़ का आकलन केंद्र को भेजा था। मानसून में राज्य उच्च मार्गों को हुए नुकसान की भी एक अलग से रिपोर्ट विभाग ने केंद्र सरकार को सौंपी है। इस रिपोर्ट में 272 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। प्रदेश भर में विभाग की डेढ़ हजार से ज्यादा सडक़ें बाधित हो गई थी और पीडब्ल्यूडी को इस आपदा से करीब 3000 करोड़ का नुकसान अभी तक हो चुका है।