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अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में हरतालिका तीज पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर महिलाओंने भगवान गौरी शंकर की संयुक्त रूप से पूजा अर्चना की तथा सदा सुहागिन और सुखी दांपत्य का आर्शीवाद प्राप्त किया। स्थानीय भाषा में इस पर्व को चिड़ियों के व्रत भी कहते हैं। इस रोज कई महिला श्रद्धालुओं ने व्रत तर्पन भी किया।
इस मौके पर मंदिर न्यास के पुजारी पंडित बाबू राम शर्मा ने इस व्रत और त्योहार की महिमा सुनाई। उन्होंने कहा कि माता गौरी ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए इस व्रत को रखा था। इस दौरान माता गौरी ने कठिन यातनाएं सही। हालांकि गिरीराज की पुत्री गौरी को भगवान विष्णु की ओर से विवाह का प्रस्ताव नारद द्वारा आया लेकिन गौरी बचपन से ही भगवान शंकर को अपना पति मान चुकी थी।
कालातंर परिवर्तन में भगवान शंकर को पाने के लिए माता गौरी ने बहुत कठोर तप किए और भगवान भोले का वरण किया। उन्होंने कहा कि भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को गौरी ने भगवान शंकर की आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के फलस्वरूप उनका विवाह हुआ। इसका महत्व यह है कि भगवान शिव इस व्रत को करने वाली कुंवारी कन्याओं को मनोवांछित फल देते हैं तथा सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती का वरदान भी देते हैं। कथा समापन पर प्रसाद वितरण भी किया गया।