आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। राजधानी में सफाई व्यवस्था का जिम्मा संभालने के लिए हाल ही में तैनात किए सेनेटरी इंस्पेक्टरों पर नगर निगम ने जांच बैठा दी है। नौकरी हासिल करने के लिए इनकी ओर से दिए शैक्षणिक प्रमाण पत्र संदेह के घेरे में हैं। अंदेशा है कि इन्होंने जिन संस्थानों से सेनेटरी इंस्पेक्टर का डिप्लोमा हासिल कर नौकरी ली है, वह संस्थान मान्यता प्राप्त नहीं हैं। ऐसे में इनकी नौकरी पर सवाल खड़े हो गए हैं।
नगर निगम ने इन्हें नोटिस जारी कर एक माह के भीतर अपने प्रमाण पत्रों के बारे में पूरा रिकॉर्ड देने को कहा है। पहले नगर निगम में सिर्फ तीन सेनेटरी इंस्पेक्टर तैनात थे। वर्ष 2022 में प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से भर्ती किए पांच सेनेटरी इंस्पेक्टर नगर निगम को मिले थे। यह अभी अनुबंध आधार पर नगर निगम में तैनात हैं।
इनमें से हर सेनेटरी इंस्पेक्टर को शहर के तीन से चार वार्डों में सफाई व्यवस्था देखने का जिम्मा दिया गया है। अधिकारियों के बाद सेनेटरी इंस्पेक्टर ही इकलौते ऐसे कर्मचारी हैं जो शहर में गंदगी फैलाने वाले लोगों के चालान भी काट सकते हैं। इन सेनेटरी इंस्पेक्टरों समेत प्रदेश भर में कर्मचारियों की भर्तियां करने वाले हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग खुद इन दिनों जांच के दायरे में है। पिछले दो तीन साल की ज्यादातर भर्तियों को लेकर जांच भी चल रही है। कई भर्तियों में धांधली को लेकर मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं।
जांच के बाद निगम ने दिए हैं नोटिस
नगर निगम की सामान्य प्रशासन शाखा ने नियुक्ति के बाद इनके शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच की थी। इसमें सेनेटरी इंस्पेक्टर के डिप्लोमा की भी जांच हुई। इसमें दो इंस्पेक्टर के संस्थान का रिकॉर्ड तो मिल गया लेकिन तीन का पता नहीं लगा। ऐसे में निगम को इनके संस्थानों की मान्यता पर संदेह हुआ। हालांकि, मौका देते हुए निगम ने इन्हें नोटिस जारी कर संस्थानों की मान्यता का रिकॉर्ड देने के नोटिस दे दिए। अभी तक यह रिकॉर्ड नहीं दे पाए है। निगम का कहना है कि यदि जल्द रिकॉर्ड न मिला तो इनका वेतन रोका जा सकता है। हालांकि, रिकॉर्ड मिलने की स्थिति में इनकी सेवाएं जारी रहेंगी।
नगर निगम में हाल ही में तैनात हुए सेनेटरी इंस्पेक्टरों को नोटिस दिए हैं। इसमें जिन संस्थानों से इन्होंने सेनेटरी इंस्पेक्टर का डिप्लोमा हासिल किया है, उनकी मान्यता से जुड़ा रिकॉर्ड मांगा है। –भुवन शर्मा, संयुक्त आयुक्त नगर निगम शिमला