आवाज ए हिमाचल
14 जनवरी। सीएम जयराम ठाकुर के तीन मंत्रियों ने पूर्व की कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, उद्योग एवं परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह तथा वन मंत्री राकेश पठानिया ने जिला कांगड़ा के धर्मशाला के मैक्लोडग़ंज में वन भूमि पर निर्मित होटल एवं रेस्तरां को तोडऩे के लिए जारी किए गए राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशों को कायम रखने के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की सराहना की है। मंत्रियों ने कहा कि इस निर्णय ने पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए अवैध कार्य फिर सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि होटल का निर्माण एक निजी निवेशक ने तत्कालीन वरिष्ठ कांग्रेस के नेताओं की मिलीभगत से किया था।
इस दौरान सभी मानदंडों की उल्लंघना कर राजनीतिक संरक्षण के तहत अवैध निर्माण किया गया था। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सिविल अपील के आधार पर बस अड्डे, होटल और रेस्तरां निर्माण की अनियमितताओं की जांच करने के लिए जिला और सत्र न्यायाधीश कांगड़ा को 9 सितंबर 2016 को जांच अधिकारी नियुक्त किया था। वर्ष 2018 में जांच अधिकारी ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय को रिपोर्ट सौंपी। उन्होंने कहा कि यह पाया गया कि इन सम्पत्तियों के निर्माण के लिए न तो नगर एवं नियोजन विभाग से नक्शा स्वीकृत किया गया और न ही वन संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत मंजूरी ली गई। उन्होंने कहा कि सक्षम अधिकारी से अनुमति लिए बिना भूमि उपयोग में बदलाव किए गए। उन्होंने कहा कि होटल का निर्माण ऐसी जगह पर किया गया जहां बस अड्डा निर्मित किया जाना था।
2016 में ही दिए थे ढांचे उखाडऩे के आदेश
सुरेश भारद्वाज, बिक्रम सिंह तथा राकेश पठानिया ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने 2016 में दोषियों को अवैध ढांचे को उखाडऩे के आदेश दिए थे, जिसके लिए समिति गठित की गई और उन्होंने होटल के निर्माण में कई अनियमितताएं पाईं। उन्होंने कहा कि दोषी कंपनी को तत्कालीन कांग्रेस सरकार का पूर्ण संरक्षण था और उन्होंने सभी मानदंडों का उल्लंघन किया। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एनजीटी के आदेशों के बावजूद न तो अवैध ढांचों को गिराया और न ही दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय तत्कालीन कांग्रेस सरकार एनजीटी के निर्णय के विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष गई।