प्रकृति से खिलवाड़ पड़ा भारी
आवाज़ ए हिमाचल
कुल्लू। इस बार मानसून के रूप में आई त्रासदी ने ही आपदा प्रबंधन की सारी पोल खोल दी है। प्रदेश भर में बरसात के दौरान अब तक 350 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि प्रदेश में 12 हजार करोड़ से अधिका का नुकसान हुआ है। भले ही विनाशकारी बाढ़, अत्याधिक बारिश और उफनती नदियां कहर का मुख्य कारण रहा हो, लेकिन आपदा का मुख्य कारण बड़े पैमाने पर वन कटाई, भूमि कटाव, बढ़ता शहरीकरण और पर्यावरण असंतुलन है। पहाड़ी इलाकों में ढांक पर लोगों ने घर बसाए तो वहीं, नदी-नालों के पास अवैध कब्जाकर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी की जा रही हैं। कुल्लू जिला की बात करें तो यहां पर हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है। इस त्रासदी में जिला में करीब 40 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। जिला कुल्लू में 625 मकान पूरी तरह से आपदा की भेंट चढ़े हैं, जबकि 1590 घरों को भी नुकसान पहुंचा है। जिला में प्राकृतिक आपदा 3409 लोग प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा 400 गोशालाएं बाढ़ और भूस्खलन की जद में आई हैं। इसके अलावा 450 किराएदारों को भी बाढ़ से नुकसान पहुंचा है।
जिला कुल्लू में 22 के करीब गांवों में भूस्खलन के बाद दरारें आई हैं। आज आपदा को 53 दिन बीत गए हैं, लेकिन अभी तक हालात सामान्य नहीं हुए हैं। वहीं, बेघर हुए लोगों को आशियाना दिलाना भी प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। अब तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार विभिन्न वर्ग का कुल नुकसान 785 करोड़ 96 लाख 88 हजार से अधिक आंका गया है। अभी तक कई जगहों की रिपोर्ट बन रही है। ऐसे में नुकसान का आंकड़ा बढ़ भी सकता है।