आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। मौसम की मार से हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। भारी बारिश के बाद भूस्खलन के चलते निगम के 1,300 रूट प्रभावित हैं। शिमला-चंडीगढ़, कांगड़ा-पठानकोट और चंड़ीगढ़-मनाली हाईवे पर भूस्खलन से सामान्य और वोल्वो सेवाएं प्रभावित हुई हैं। यात्री न मिलने के कारण निगम कुछ रूटों पर बसें क्लब कर संचालित कर रहा है।
गुरुवार रात को परवाणू के चक्की मोड़ के पास नेशनल हाईवे बंद हो जाने से शिमला, सोलन, सिरमौर और किन्नौर जिले से चंडीगढ़ और दिल्ली के लिए बस सेवाएं प्रभावित हो गईं। एचआरटीसी ने कुमारहट्टी-नाहन वैकल्पिक रूट से कुछ बसें संचालित की। शुक्रवार सुबह कुल्लू मंडी वाया पंडोह और वाया कमांद सड़क बंद रहने से बस सेवाएं प्रभावित हुई। घाघस-ब्रह्मपुखर सड़क बंद रहने से भी बसों की आवाजाही प्रभावित हुईं।
एनएच बंद, पंचकूला और परवाणू मंडी में तीसरे दिन पहुंच रहा सेब
चक्की मोड़ के पास नेशनल हाईवे बार-बार बंद होने से बागवानों और ट्रांसपोर्टरों की परेशानी बढ़ गई है। मंडियों में सेब देरी से पहुंच रहा है, जिसके कारण बागवानों को फसल के उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं। वैकल्पिक सड़कें खस्ताहाल होने से सेब और नाशपाती की गुणवत्ता खराब हो रही है। पंचकूला और परवाणू मंडी में फसल तीसरे दिन पहुंच रही है। नेशनल हाईवे अवरुद्ध होने से शिमला, सिरमौर, कुल्लू के आनी का सेब कुमारहट्टी-नाहन मार्ग से होकर पंचकूला और परवाणू मंडी पहुंच रहा है।
इस रूट से होकर ट्रकों को करीब 150 किलोमीटर और पिकअप को 50 से 60 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। पंचकूला और परवाणू मंडी में सेब के सैंपल सुबह 8 बजे ऑक्शन यार्ड पर लग जाते हैं। गाड़ी देरी से पहुंचे तो सुबह के मुकाबले दाम कम मिलते हैं। इसलिए तीसरे दिन माल बिक पा रहा है। स्थानीय मंडियों में सेब खरीद कर बाहरी राज्यों को ले जाने वाली खरीदारों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पराला मंडी ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन के महासचिव संदीप पांडे ने बताया कि कोटखाई, चौपाल, जुब्बल, रोहड़ू का सेब ट्रकों में नेरीपुल, कुमारहट्टी, नाहन मार्ग से होकर पंचकूला और परवाणू मंडी पहुंचाया जा रहा है।
ढली मंडी आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रताप सिंह कैरों ने बताया कि बाहरी राज्यों के लिए 600 पेटी सेब लेकर रवाना होने वाले 15 टन वाले ट्राले कुमारहट्टी-नाहन होते हुए रवाना हो रहे हैं और 4 से 5 घंटे अधिक समय लग रहा है। ट्रांसपोर्टर किराया भी 6 से 7 हजार रुपये अतिरिक्त किराया ले रहे हैं। सेब उत्पादक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सोहन सिंह ठाकुर का कहना है कि नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और ग्रामीण सड़कें प्रभावित होने से बागवानों की परेशानी बढ़ गई है। सड़कें दुरूस्त करने के लिए सरकार के दिनरात युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत है।