आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अदालत को झूठा आश्वासन देने पर लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता (एक्सईएन) पर कार्रवाई करते हुए उसे तुरंत प्रभाव से निलंबित करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने प्रमुख अभियंता को आदेश दिए कि वह उसके स्थान पर दूसरे अधिकारी की तैनाती कर प्रार्थी के मकान को बचाने के लिए कारगर कदम उठाएं। मामले पर आगामी सुनवाई 17 अगस्त को होगी। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने अपने आदेशों में कहा कि अधिशाषी अभियंता रिहायशाी मकान की सुरक्षा के लिए कारगर कदम उठाने में विफल रहा है। हालांकि पिछली सुनवाई को उसने कोर्ट को आश्वस्त किया था कि याचिकाकर्ता के रिहायशी मकान की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। कोर्ट ने अधिशाषी अभियंता को चेताया था कि यदि याचिकाकर्ता के मकान को नुकसान पहुंचता है, तो वह मुआवजा व दंडात्मक कार्रवाई के लिए जिम्मेदार होगा। प्रार्थी शशिकांत ने आरोप लगाया है कि धर्मपुर तहसील के अंतर्गत आईटीआई बरोटी के भवन के लिए लापहवाही से डंगा दिया गया है।इस डंगे का निर्माण यूनीप्रो कंपनी ने लोक निर्माण विभाग की निगरानी में किया है। कोर्ट को बताया गया कि 12 मार्च, 2023 को स्थानीय ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव पारित किया कि आईटीआई बरोटी भवन का डंगा लापरवाही से लगाया गया है। डंगा गिरने की स्थिति में प्रार्थी के मकान को भारी नुकसान पहुंच सकता है।
10 अप्रैल, 2023 को प्रार्थी ने लोक निर्माण विभाग को आवेदन किया कि आईटीआई का डंगा गिरने की कगार पर है, इसके लिए उपचारात्मक कदम उठाने की तुरंत आवश्यकता है। 26 मई, 2023 को राजस्व विभाग ने रिपोर्ट दी कि डंगा गिरने की स्थिति में है और इससे प्रार्थी के मकान को खतरा है। आरोप लगाया गया है कि डंगे की सुरक्षा के लिए विभाग ने कोई कदम नहीं उठाए और 24 जून, 2023 को डंगा गिर गया। कोर्ट को बताया गया कि हालांकि आईटीआई और मकान के बीच सडक़ है, लेकिन डंगे के मलबे से सडक़ पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है और धंसने वाली है। इससे प्रार्थी के मकान को खतरा बना हुआ है।