आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। तकनीक में लगातार हो रहे विकास के बाद अब साइबर ठगों ने लोगों को ठगने के लिए हाइटेक तरीके अपनाने शुरू कर दिए है। जहां अब तक सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल, ओटीपी समेत अन्य तरीकों से ठगी हो रही थी, लेकिन अब साइबर अपराधी इसके लिए वॉयस क्लोनिंग टूल की मदद ले रहे हैं। हिमाचल प्रदेश पुलिस के साइबर सैल ने लोगों को वॉयस कलोनिग से संबंधित फोन कॉल से सावधान रहने की अपील की है व ऐसी घटना होने पर आसपास के थाने में मामला दर्ज करने की सलाह दी है। वॉयस क्लोनिंग से ठगी के नए तरीके के अनुसार अपराधी टूल की मदद से आवाज की ऐसी नकल करता है कि अपनी व टूल की आवाज में अंतर नहीं कर पाएंगे। इसके लिए साइबर अपराधी सबसे पहले किसी शख्स को ठगी के लिए चुनते हैं।इसके बाद उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल को देखते हैं और उसकी किसी ऑडियो व वीडियो को अपने पास रख लेते हैं। इसके बाद एआई की वॉयस क्लोनिंग टूल की मदद से उसकी आवाज क्लोन करते हैं। फिर उनके परिचित को उसकी आवाज में फोन कर बताया जाता है कि उनका एक्सिडेंट हो गया है या कोई भी एमर्जेंसी स्थिति बताकर ठगी की जा रही है।
साइबर क्राइम विभाग के पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र नेगी ने बताया कि साइबर अपराधी प्रतिदिन ठगी करने के लिए नए तरीके अपना रहे है और जागरूकता ही साइबर अपराध से बचाव का एकमात्र उपाय है। उन्होंने ने लोगों ने अपील की है कि साइबर अपराधियो द्वारा दिए जाने वाले किसी भी प्रलोभन व झांसे में न आए और अपनी सभी जानकारी गोपनीय रखे व अन्य किसी के साथ साझां न करे।