आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल में भारी बरसात के बाद उफनती नदियों की सिल्ट के कारण विद्युत उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सोमवार दोपहर तक हिमाचल में सेंट्रल पीएसयू या स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों समेत केवल तीन बिजली प्रोजेक्ट चल रहे थे। इनमें चमेरा-1, कोलडैम प्रोजेक्ट और मलाणा-1 बिजली प्रोजेक्ट शामिल हैं। बाकी सभी बिजली परियोजनाएं ठप हो गई हैं। इसकी वजह बनी है पानी में अचानक बढ़ी सिल्ट, जिसका कोई इलाज किसी के पास नहीं। एनएचपीसी का चमेरा-1 बिजली प्रोजेक्ट और एनटीपीसी का कोलडैम प्रोजेक्ट दोनों ही रिजरवायर पर आधारित हैं। इनके साथ पौंग और भाखड़ा डैम भी बिजली बना रहा है। वहीं एसजेवीएन का नाथपा झाकड़ी पावर प्रोजेक्ट और जेएसडब्ल्यू का कड़छम वांगतू भी बंद पड़ा है। उर्जा निदेशालय में आई सूचना के अनुसार रामपुर और एनजेपीसी प्रोजेक्ट को मंगलवार तक शुरू करने की योजना है। सतलुज बेसिन में बासपा और भावा प्रोजेक्ट भी बंद पड़े हैं। पब्बर नदी का सावड़ा कुडू प्रोजेक्ट भी बंद है।
बस्सी, आंध्रा के साथ-साथ कांगड़ा का गज, बनेर और खोली प्रोजेक्ट को भी ठप करना पड़ा है। कुल्लू में मलाणा दो और एलायन दुहागन समेत सैंज और काशंग प्रोजेक्ट भी बंद हैं। इनमें से कई परियोजनाओं में सिल्ट की मात्रा 3500 से 6500 पीपीएम चल रही है। 1500 पीपीएम तक सिल्ट के घटने का इंतजार किया जा रहा है। पावर हाउस में सतलुज का पानी घुस गया था और यहां सिर्फ को निकालने में अब काफी वक्त लगेगा। 126 मेगावाट की इस प्रोजेक्ट से अब राज्य सरकार को हर रोज 1.20 करोड़ का नुकसान होगा। बिजली परियोजनाओं में बरसात का सीजन पैसा कमाने का होता है। वहीं राम सुभग सिंह, प्रधान सलाहकार मुख्यमंत्री ने बताया कि ब्यास बेसिन के जिलों कुल्लू और मंडी में विद्युत आपूर्ति बहाल करने की कोशिश की जा रही है। कल तक इसमें कामयाबी मिल जाएगी। अभी पानी में सिल्ट ज्यादा होने के कारण उत्पादन गिरा है।