आवाज ए हिमाचल
शिमला। पेपर लीक का मामला सामने आने के बाद हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग को बेशक भंग कर दिया हो, लेकिन अब 644 कोर्ट केस सरकार के गले पड़ गए हैं। कोर्ट से आ रहे आदेशों की तामील करवाने के लिए खुद मुख्य सचिव को हस्तक्षेप करना पड़ा है। एक दौर की बैठक हुई है, लेकिन इसमें भी कोई नतीजा नहीं निकला। अब दूसरी बैठक में तय होगा कि पुराने कोर्ट केस और लिटिगेशन कौन देखेगा? कार्मिक विभाग का रिकॉर्ड कहता है कि हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग से संबंधित कुल 644 कोर्ट केस अभी लंबित हैं। इनमें से 618 मामले सिर्फ भर्ती परीक्षाओं से संबंधित हैं। 15 केस सर्विस मैटर के हैं और 11 मामले सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं। अब आयोग के भंग होने के बाद रिजल्ट निकालने का काम तो लोक सेवा आयोग को दे दिया गया है, लेकिन पुरानी लिटिगेशन अभी लोक सेवा आयोग नहीं ले रहा। हाई कोर्ट से पुराने रिजल्ट और मेरिट लिस्ट से संबंधित आए तीन मामलों को एग्जीक्यूट करवाने के लिए मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को पिछले हफ्ते बैठक करनी पड़ी थी। इस बैठक में फैसला नहीं हो पाया, लेकिन कोर्ट में जवाब दायर करने के लिए मिनट्स तैयार हो गए।
कारण यह था कि इस बैठक में गृह सचिव, महाधिवक्ता और लोक सेवा आयोग के सचिव उपस्थित नहीं थे। अब दूसरी बैठक में अगले फैसले होंगे। एक और चिंता यह है कि विजिलेंस जांच से बाहर के 27 पोस्टकोड के रिजल्ट अटके पड़े हैं। लोक सेवा आयोग ने अभी चार रिजल्ट घोषित किए हैं, जबकि दो डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का शेड्यूल जारी हुआ है। विजिलेंस ब्यूरो ने कुल 22 पोस्ट कोड जांच के अधीन लिए थे। इनमें से 6 में क्लोजर रिपोर्ट दे दी थी, लेकिन इन 22 के अलावा 27 पोस्ट कोड ऐसे हैं, जिनका रिजल्ट घोषित किया जा सकता है। इन भर्ती परीक्षाओं में बैठे हजारों युवा इंतजार कर रहे हैं, लेकिन लोक सेवा आयोग के पास पहले से काम होते हुए हमीरपुर आयोग के नतीजों में गति की उम्मीद नहीं है।