आवाज ए हिमाचल
नादौन। भारतीय ज्ञान परम्परा में गुरु का स्थान सर्वोपरि माना गया है। शिष्य के मन, मस्तिष्क में व्याप्त अंधकार को ज्ञान के आलोक से प्रकाशित करने वाला गुरु ही है। समस्त विश्व में गुरु का आदर समान रूप से है, परन्तु फिर भी ज्ञान के उपासक भारत देश में इसका महत्त्व सर्वोत्कृष्ट है। अनेक ग्रन्थ इस गुरुतत्त्व को प्रकट करते हैं। इसी कड़ी में नादौन के समीपवर्ती परम पूजनीय मौनी बाबा कुटिया फतेहपुर में गुरु पूर्णिमा का पर्व प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी अपूर्व उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सेवानिवृत्त प्रो. रत्न चंद शर्मा ने पूर्व संध्या पर गुरुतत्त्व, गुरु के स्वरूप और उसकी महिमा पर विस्तृत व्याख्यान समुपस्थित साधकों के समक्ष उपस्थापित किया। इसके साथ ही नादौन के दो संस्कृत शिक्षक आचार्य नरेश मलोटिया और डॉ. अमित शर्मा ने भी गुरु महिमा और ज्ञान प्राप्ति में गुरु के स्थान पर प्रकाश डाला। सोमवार प्रातः काल 06 बजे से पूज्य मौनी बाबा की गुरुरूप में विधिवत पूजा प्रारम्भ हुई, जिसमें कुटिया से जुड़े हुए अनेक परिवारों व आस पास के ग्रामीणों ने भी भाग लिया। खण्ड नादौन के दो प्राथमिक शिक्षकों अनिल कुमार और सज्जन कुमार के द्वारा प्रशिक्षित छात्र-छात्राओं की उपस्थिति विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण रही, जिन्होंने अपने विद्यालय में सभी बच्चों में श्रीमद्भगवद्गीता के अध्ययन और कंठस्थीकरण का संस्कार डाला है। उन बच्चों ने गीता के कुछ अध्यायों का मौखिक रूप में वाचन करके सबका मन मोह लिया।
प्रो. रत्न चंद शर्मा ने कहा कि गीता एक ऐसा दिव्य ग्रन्थ है, जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए परमावश्यक है। बच्चों में बाल्यकाल से ही गीता के संस्कार देना आज के युग में नितांत आवश्यक है। इसमें हर परिस्थिति के व्यक्ति को क्या करना चाहिए? इसका भरपूर ज्ञान प्राप्त होता है। अंत में सभी के लिए प्रसाद की व्यवस्था भी थी।