आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। सेंट्रल यूनिवर्सिटी धर्मशाला के निर्माण को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के बाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के निर्माण का रास्ता खुल गया है। हालांकि यह मंजूरी स्टेज-एक के लिए है और मंजूरी के बाद अब वन विभाग और प्रभावितों को राशि आबंटन का काम पूरा होगा। इसके बाद अंतिम मंजूरी के लिए दोबारा से फाइल केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। दूसरे चरण की मंजूरी के बाद ही सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कैंपस का निर्माण शुरू होगा। फिलहाल स्टेज-एक में 57 हेक्टेयर भूमि को पर्यावरण मंत्रालय ने मंजूरी दी है। मंजूरी के लिए भेजे गए प्रस्ताव से कुछ हिस्से को हटा दिया गया है। जो हिस्सा बाहर हुआ है, उसमें घनी आबादी बताई जा रही है। सेंट्रल यूनिवर्सिटी के निर्माण का असर अब आसपास की इस आबादी पर ज्यादा नहीं पड़ेगा। वन विभाग को पेड़ों के एवज में मुआवजा राशि मिलेगी और उसके बाद वन विभाग भूमि को सेंट्रल यूनिवर्सिटी के नाम करेगा। गौरतलब है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी के धर्मशाला कैंपस का मामला 2009 से फाइलों में फंसा हुआ था। कैंपस के लिए जगह चिह्नित करने में ही करीब दस साल लग गए।
2019 में करीब 75 हेक्टेयर जगह चिह्नित होने के बाद फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए फाइल केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजी गई, लेकिन मंजूरी न मिलने की वजह से निर्माण शुरू नहीं हो पाया। फोरेस्ट एडवाइजरी कमेटी (एफएसी) ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी की मंजूरी को लेकर आपत्तियां दर्ज की थीं। इनमें मुख्य तौर पर धर्मशाला के भूकंप संभावित चार सिस्मिक जोन में होने और अत्याधिक बारिश वाला क्षेत्र होने का हवाला दिया गया था। इसके बाद तय जमीन में आवश्यक बदलाव किए गए और दोबारा से अनुमति के लिए फाइल को पर्यावरण मंत्रालय में प्रस्तावित किया गया और अब सेंट्रल यूनिवर्सिटी को मंजूरी मिल गई है। हालांकि काम शुरू होने में अब भी एक साल का समय और लग सकता है।