आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने एक बार फिर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने साफ कर दिया है कि 21 जून से पहले ओपीएस की अधिसूचना जारी नहीं हुई, तो कर्मचारी बड़े आंदोलन का रुख करेंगे। इस आंदोलन की जिम्मेदारी बोर्ड प्रबंधन और राज्य सरकार की होगी। यूनियन ने बिजली बोर्ड को लावारिस हालत में छोडऩे के भी आरोप लगाए हैं। यूनियन का दावा है कि बिजली बोर्ड में सबसे बड़ा कर्मचारी संगठन काम कर रहा है। बोर्ड से इस समय करीब 50 हजार लोग जुड़े हुए हैं। इनमें स्थायी कर्मचारी और पेंशनर्ज के अलावा आउटसोर्स कर्मचारी शामिल हैं। बिजली बोर्ड के पास 26 लाख उपभोक्ता हैं, लेकिन बिजली बोर्ड के पास प्रबंध निदेशक स्थायी नहीं हैं, जबकि बोर्ड चेयरमैन के सेवानिवृत्त होने में एक महीना रह गया है। यह बड़ी वजह है जिस वजह से बिजली बोर्ड में फैसले नहीं हो पा रहे हैं। बिजली बोर्ड में स्थायी प्रबंधन की व्यवस्था की जाए। बिजली बोर्ड में स्थायी प्रबंधन की नियुक्ति की जाए, ताकि लंबित मामलों का समाधान जल्द से जल्द किया जाए। प्रबंधन को 21 जून से पहले ओल्ड पेंशन को लागू करने का फैसला करना होगा।
अगर ऐसा न हुआ तो बोर्ड के कर्मचारी आंदोलन का रास्ता चुनेंगे। यूनियन बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के महासचिव हीरालाल वर्मा ने कहा कि ओल्ड पेंशन कर्मचारियों का सबसे बड़ा मुद्दा है। प्रदेश सरकार ने अन्य सभी विभागों में ओपीएस को लागू कर दिया है, जबकि बिजली बोर्ड के कर्मचारी अब तक दो बार अपना एनपीएस शेयर कटवा चुके हैं और 21 जून से पहले अधिसूचना जारी न हुई, तो तीसरी बार यह शेयर कटने की संभावना बढ़ जाएगी। इसके अलावा उन्होंने अफसरशाही में ट्रांसमिशन और जेनरेशन को अलग करने के मुद्दे की भी बात की है। यूनियन इसका विरोध कर रही है। इसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।