आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल सरकार वर्तमान में ओवरड्राफ्ट में चल रही है। राज्य सरकार का कोषागार खाली है और 1000 करोड़ का अतिरिक्त खर्चा हो चुका है, यानी बैलेंस नेगेटिव है। नई सरकार को पहले छह महीने में ही इन हालातों का सामना करना पड़ रहा है। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य की वित्तीय स्थिति पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने ये आंकड़े दिए। इसकी जानकारी कैबिनेट ब्रीफिंग में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन सिंह चौहान और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने दी। हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि राज्य अभी 1000 करोड़ के ओवरड्राफ्ट में है और पिछले हफ्ते लोन के रूप में लिए 800 करोड़ रुपए बुधवार को सरकारी कोषागार में आएंगे। सरकार को दैनिक खर्चे चलाने में भी दिक्कत हो रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई नई शर्ते हैं, उद्योग मंत्री ने कहा कि एक्सटरनल एडिट प्रोजेक्ट के मामले में भी राज्य सरकार को तीन साल में सिर्फ 3000 करोड़ ही अब मिल पाएंगे, जबकि 8500 करोड़ के प्रोजेक्ट भारत सरकार में हिमाचल के पेंडिंग हैं।
उद्योग मंत्री ने कहा कि हाल ही में दिल्ली दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से बात की थी, लेकिन अभी तक भारत सरकार से कोई राहत नहीं मिली है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने केंद्र पर आरोप लगाया था कि लोन की लिमिट को 14500 करोड़ से 5500 करोड़ रुपए कम कर दिया गया है। इसमें 1780 करोड़ का एक हिस्सा पिछले वित्त वर्ष में जमा करवाए गए एनपीएस कंट्रीब्यूशन का है, जिसके बदले राज्य सरकार को लोन मिल रहा था। इसकी मंजूरी भी भारत सरकार नहीं दे रही। इसकी वजह अब ओल्ड पेंशन को लागू करने के फैसले को माना जा रहा है। नए वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही राज्य सरकार को 800 करोड़ लोन लेने को मजबूर होना पड़ा था। यह पैसा बुधवार को खाते में आएगा।