केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए जदरांगल में भूमि को मंजूरी मिलना विद्यार्थी परिषद् के लंबे संघर्षों की जीत

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आवाज ए हिमाचल 

दीपक गुप्ता, धर्मशाला। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के प्रांत सह मंत्री अभिषेक ने कहा कि केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की एडवाइजरी कमेटी द्वारा धर्मशाला के निकट जद्रांगल में केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के लिए 57.0 हेक्टेयर भूमि के आवंटन की घोषणा की गई है। भूमि आवंटन के बाद जल्द ही विश्वविद्यालय के स्थाई परिसर के निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जदरांगल में सीयूएचपी को भूमि मंजूरी मिलना विद्यार्थी परिषद के लंबे संघर्षों का परिणाम है। गौरतलब है कि 15 अगस्त, 2007 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा, 16 राज्यों में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की गई थी। इसी के अंतर्गत वर्ष 2009 में संसद अधिनियमित केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 के तहत हिमाचल प्रदेश को भी केंद्रीय विश्वविद्यालय की सौगात प्राप्त हुई थी। किंतु दुर्भाग्यवश 2009 से वर्ष 20023 तक 14 वर्ष बीत जाने के बाद भी केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थाई परिसर का निर्माण नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि 14 वर्षों में इस विश्वविद्यालय के स्थाई परिसर के निर्माण के नाम पर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास किया। प्रदेश या देश में चुनाव प्रचार के समय सभी पार्टियों द्वारा विश्वविद्यालय निर्माण का वादा किया गया पोस्टर लगाया गया किंतु धरातल पर वास्तविकता कुछ और ही रही।

उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्र हित को ध्यान में रखते हुए पिछले 14 वर्षों से ही लगातार इस विश्वविद्यालय के स्थाई परिसर निर्माण के लिए आंदोलनरत है। वर्ष 2009 से विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन व केंद्र तथा राज्य सरकारों के खिलाफ न जाने कितने ही आंदोलन किए हैं। इसी कड़ी में वर्ष 2020 में भी विद्यार्थी परिषद ने 48 दिन का अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन व 44 दिन की भूख हड़ताल भी की। इसी दौरान परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा शव प्रदर्शन, मूक प्रदर्शन, नुक्कड़ नाटक जैसे अलग अलग प्रदर्शन कर सरकार को चेताने का प्रयास किया गया। इसी के साथ 2020 में परिषद का एक प्रतिनिधि दल तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से भी मिलता है और विश्वविद्यालय की समस्याओं को सामने लाता है। मंत्री द्वारा विद्यार्थी परिषद को जल्द ही इस मामले का समाधान करने का विश्वास भी दिलाया गया किंतु उसका भी कोई परिणाम नहीं निकला।उन्होंने कहा कि
कुछ समय पहले विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं की मेहनत रंग लाई व देहरा में विश्वविद्यालय के स्थाई परिसर निर्माण की अनुमति मिलने के बाद 115 हेक्टेयर भूमि पर भवन निर्माण का कार्य किया जा रहा है। किंतु बारिश व कम जमीन का हवाला देते हुए जद्रांगल में भवन निर्माण की अनुमति नहीं दी गई।

अभिषेक ने कहा कि आज विद्यार्थी परिषद के लंबे संघर्ष के बाद जद्रांगल में भी 57 हेक्टेयर भूमि को मंजूरी दे दी गई है। यह विद्यार्थी परिषद की यह जीत कार्यकर्ताओं, अन्य छात्र व छात्राओं सहित पूरे राज्य के वासियों के लिए हर्ष का विषय है।
विश्वविद्यालय में छात्र हितों के लिए विद्यार्थी परिषद पिछले 14 वर्षों से संघर्ष करती आई है और आगे भी विद्यार्थियों को यदि कोई भी समस्या आती है तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का प्रत्येक कार्यकर्ता उन समस्याओं को समाप्त करने के लिए कार्य करता रहेगा।

 

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