आवाज़ ए हिमाचल
नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त है। उसने इस मामले पर कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि राजनीतिक मशीनरी वहां की कानून व्यवस्था की स्थिति पर आखें बंद न करे। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर बताने को कहा है कि हिंसा के बाद क्या सुरक्षा मुहैया कराई गई, क्या रिलीफ दी गई है और पुनर्वास के बारे में बताइए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगवाई वाली बेंच ने कहा कि वह मणिपुर हाई कोर्ट में पेंडिंग रिजर्वेशन के मुद्दे में नहीं जाएंगे। उस मुद्दे को वह डील नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है। पीठ ने कहा कि बतौर सुप्रीम कोर्ट हम इस बात को सुनिश्चित कराना चाहते हैं कि राजनीतिक मशीनरी स्थिति देखकर अपनी आखें बंद न करें। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि कुकी समुयाद और अन्य जनजाति की सुरक्षा को लेकर चिंता है। कोर्ट ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी और उनके सिक्योरिटी एडवाइजर से कहा है कि वह सुरक्षा की स्थिति का आंकलन करें और राज्य में शांति कायम करने के लिए कदम उठाना सुनिश्चित करें। जिन गांव में जनजाति हैं वहां सुरक्षा मुहैया कराना सुनिश्चित किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जनजाति रिजर्वेशन मुद्दे पर अपनी शिकायत के साथ मणिपुर हाई कोर्ट जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की हिंसा के मामले में राज्य सरकार से रिलीफ, सुरक्षा और पुनर्वास को लेकर उठाए गए कदम के बारे में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।