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शिमला/चम्बा। हिमाचल हाई कोर्ट ने चंबा के चुराह में अवैध पेड़ कटान के मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए हिमाचल प्रदेश वन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक को अदालत के समक्ष तलब किया है। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत को स्पष्टीकरण ना देने पर अदालत ने यह आदेश दिए है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान निगम से दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला ना चलाने के बारे में मांगा स्पष्टीकरण मांगा था।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने उपरोक्त आदेश पारित किए।
पेड़ों के ठूंठों को जलाकर सुबूत मिटाने की कोशिश की गई
याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुराह वन मंडल के दायरे में आने वाले शक्ति जंगल में देवदार के पेड़ों पर अवैध रूप से कुल्हाड़ी चलाई गई है। शक्ति जंगल में वन निगम को 25 से 30 सूखे पेड़ों को काटने का लॉट जारी हुआ था। निगम के ठेकेदार झगड़ सिंह ने इस लॉट की आड़ में 60 से अधिक हरे देवदार के पेड़ों की बलि दे दी। इतना ही नहीं, काटे हुए पेड़ों के ठूंठों को जलाकर सुबूत मिटाने की कोशिश की गई है। ठेकेदार को चचोल वन बीट में भी सूखे पेड़ों को काटने का लॉट दिया गया है। याचिकाकर्ता ने अंदेशा जताया है कि ठेकेदार ने वहां भी हरे पेड़ों का अवैध कटान किया होगा। याचिका में वन अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि लिखित शिकायत करने के बावजूद भी ठेकेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जा रही है। याचिकाकर्ता ने अदालत ने गुहार लगाई है कि अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए जाए। प्रतिवादी ठेकेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने की गुहार लगाई गई है।
ठेकेदार झगड़ सिंह ने 57 हरे देवदार के पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि 14 सूखे पेड़ों की स्वीकृति की आड़ में ठेकेदार झगड़ सिंह ने 57 हरे देवदार के पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई है। वन विभाग ने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि इस जुर्म के लिए ठेकेदार पर 16.67 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए है कि वह अदालत को बताए कि दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला क्यों नहीं चलाया गया है और जुर्माने की राशि को वसूलने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।