लूणा-छतराड़ी सड़क के विस्तारीकरण के कार्य को जल्द किया जाए पूरा: अविनाश गोगु शर्मा

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आवाज़ ए हिमाचल

मनीष ठाकुर, भरमौर।  भरमौर विधानसभा के अंतर्गत आने वाली गैर जनजातीय क्षेत्र की सड़कों की हालत आज भी काफ़ी नाजुक बनी हुई है। यही हल लूणा-छतराड़ी सड़क का है, जिसके विस्तारीकरण के कार्य को लेकर अविनाश शर्मा गोगु ने कई बार प्रशाशन और क्षेत्र के प्रतिनिधियों के समक्ष आवाज उठा चुके हैं। लिहाजा कई बार उनके समक्ष गुहार लगाने के बाबजूद भी आज तक इस सड़क का विस्तारीकरण नहीं किया गया है।

गोगु शर्मा ने लोक निर्माण विभाग से इस सड़क के कार्य को पूरा करने की गुहार लगाई है। पर्यटन की दृष्टि से छतराड़ी एक धार्मिक स्थान है। यहां पर हर वर्ष हिमाचल के साथ-साथ बाहरी राज्य के लोग माता शिव शक्ति के दर्शन करने मंदिर आते हैं। इस सड़क मार्ग पर पर्यटकों का लगातार आना-जाना लगा रहता है। सड़क की अच्छी सुविधा न होने के कारण पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष अविनाश गोगु शर्मा ने कहा कि बंद पड़े विस्तारीकरण के कार्य को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।

कभी एक स्तंभ पर घूमता था मां शिवशक्ति मंदिर

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के छतराड़ी में स्थित मां शिव शक्ति का मंदिर ऐसा है, जो कभी एक स्तंभ कर घूमता था। यह मंदिर लगभग 1400 वर्ष पुराना है, यानि 7 वीं शताब्दी का है। इस मंदिर की उत्पत्ति के विषय में कहा जाता है कि यहां पर एक समय में घना जंगल हुआ करता था। शिव शक्ति मंदिर छतराड़ी का निर्माण 780 ई पूर्व में हुआ था। मंदिर का निर्माण गोगा नामक मिस्त्री ने किया था। कहा जाता है कि गोगा मिस्त्री का एक ही हाथ था और मां के आर्शीवाद से कारीगर ने मंदिर का निर्माण पूरा किया। कथा के अनुसार मंदिर का निर्माण पूरा होने पर कारीगर ने मोक्ष प्राप्ति की इच्छा जाहिर की थी। जैसे ही मंदिर निर्माण पूरा हुआ, मिस्त्री छत से गिर गया और उसकी मौके पर मौत हो गई। कारीगर के प्रतीक के रूप में एक चिड़िया के रूप की आकृति मंदिर में आज भी मौजूद है।

छतराड़ी गांव का शिव शक्ति मंदिर का निर्माण लकड़ी से हुआ है। मंदिर का शायद ही कोई भाग ऐसा हो, जहां पर पत्थर को प्रयोग में लाया गया है। मंदिर में लकड़ी पर की गई नक्काशी अद्भुत कारीगरी का एक बेहतरीन नमूना पेश करती है। इसके अलावा मंदिर के भीतर दीवारों पर बनाई गई पेंटिंग भी मंदिर में आर्कषण का केंद्र है। कहा जाता है कि मां के आदेश पर गुगा कारीगर ने मंदिर का कार्य किया, लेकिन इस दौरान वह इसके द्वार को लेकर असमंजस में था। जिस पर शिव शक्ति मां ने गुगा को मंदिर घुमाने का आदेश दिया और कहा कि जहां यह रुक जाता है, उस तरफ इसका द्वार बना दो। कहा जाता है कि जिस वक्त मंदिर को घुमाया गया, तो यह पश्चिम दिशा में आकर रुका और देवी के आदेश के तहत इसका द्वार भी इसी दिशा में बना दिया गया।

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