आवाज ए हिमाचल
4 जनवरी। प्रदेश सरकार अफसरशाही के आगे पूरी तरह लाचार सावित हो रही है।अफसरों का अंतर्द्वंद्व चरम पर है।सरकार के तीन साल के इस कार्यकाल में अफसरशाही और जनप्रतिनिधियों के बीच आज दिन तक सामंजस्य बिठाने में मुख्यमंत्री पूरी तरह असफल सावित हुए है।यही बजह है कि जनहित के कार्य सरकारी फाइलों में दफन हो कर रह गए हैं।कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि प्रदेश में विकास नाम की कोई चीज नही है।अफसरशाही के बीच कोई भी तालमेल नहीं है। सबका अपना डफली अपना राग बन कर रह गया है। मुख्यमंत्री का कार्यलय संघ का अड्डा बन कर रह गया है जहां केवल संघ से जुड़े अधिकारियों व नेताओं की ही चलती है।आम लोगों को इसके दरवाजे बंद पड़े है।
राठौर ने अफसरशाही के बीच चले शीतयुद्ध पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार की शासन व्यवस्था पूरी तरह चरमरा कर रह गई है।यही बजह है कि आये दिन मुख्यमंत्री को अपने आदेशों व फेंसलो को बदलना पड़ता है। राठौर ने कहा की काम करने वाले अधिकारियों को तवज्जो नही दी जा रही है।मुख्यमंत्री अपनी नाकामियों का ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ते आ रहें है।राठौर ने कहा है कि आज प्रदेश अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।प्रदेश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चोपट हो कर रह गई है।सरकार का इस दिशा की ओर कोई भी ध्यान नहीं है।बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई पर सरकार की कोई लगाम नही है।राठौर ने नए कृषि कानून पर किसानों के आंदोलन पर मुख्यमंत्री की खामोशी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उन्हें प्रदेश के किसानों व बागवानों को अपना स्टैंड क्लीयर करना चाहिए।उन्होंने कहा कि देश के आंदोलनरत किसानों के साथ प्रदेश का किसान भी खड़ा है क्योंकि यह कानून पूरी तरह से किसान व बागवान विरोधी है।