आवाज ए हिमाचल
4 जनवरी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि प्रदेश सरकार के खिलाफ न तो विपक्ष और न ही प्रदेश के लोगों के पास ऐसा कोई मुद्दा है, जिस पर सरकार को घेरा जा सके। जयराम ठाकुर ने कहा कि उनके कार्यकाल में ऐसा कोई भी बड़ा मुद्दा नहीं आया, जिसकी वजह से सरकार को विरोध का सामना करना पड़ा हो। मुख्यमंत्री ने पूर्व की कांग्रेस सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि पूर्व की कांग्रेस सरकारों का विकास का नजरिया केवल संस्थान खोलने को लेकर ही रहा है। स्कूल, कालेज, स्वास्थ्य संस्थान, तहसील व अन्य संस्थान पूर्व सरकार ने मात्र एक-एक लाख में खोल दिए।
खोलने के बाद उनमें सुविधाएं मुहैया करवाने की ओर ध्यान नहीं दिया गया, मगर उनकी सरकार नए विजन के साथ काम कर रही है। पूर्व की सरकारों के पास विजन का अभाव रहा है, जबकि भाजपा सरकार ने तीन साल के कार्यकाल में संतुलित विकास और क्षेत्रवाद को दर किनार कर काम की संस्कृति को बढ़ावा दिया है। 25 जनवरी को हिमाचल प्रदेश अपनी स्थापना के पचास साल पूरे करने जा रहा है। साल भर पचास साल पूर्ण होने पर अलग-अलग जगह कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें हिमाचल प्रदेश की गौरवमयी विकास यात्रा का वर्णन होगा।
मंडी में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि उनकी सरकार ने कोविड काल की कठिन परिस्थितियों में बेहतर काम किया है। अगर कांग्रेस के शासनकाल में कोविड जैसी वैश्विक महामारी होती, तो देश व प्रदेश में कांग्रेस की सरकारों के शासन में लूट मच जाती। प्रदेश कांग्रेस ने मास्क और सेनेटाइजर के फर्जी बिल बनाकर पार्टी हाई कमान को भेजे और 12 करोड़ रुपए का बिल हाईकमान से लिया है। इसके विपरीत उनकी सरकार ने कोविड काल में भी शिकायतों पर कार्रवाई अमल में लाई है। सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रोड़ कनेक्टिविटी पर ध्यान दिया जा रहा है। इससे पर्यटन को पंख लगेंगे। ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में 96 हजार करोड़ के एमओयू साइन हुए। ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के बाद दस हजार करोड़ के काम धरातल पर शुरू हुए हैं, जबकि दस हजार करोड़ के और कार्यों की ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के लिए तैयारी पूरी कर ली गई हैं।
लंबे समय के लिए योजनाओं की जरूरत
सीएम ने कहा कि अब हर घर को नल, सड़क, बिजली आदि के बजाय लंबे समय के लिए योजनाएं बनाने की आवश्यकता है। प्रदेश में आने वाले पचास वर्षों में पेयजल की किल्लत न हो ऐसी योजनाएं सरकार की ओर से बनाई जा रही है। मात्र संस्थान खोलना ही विकास का पैमाना नहीं है, सुविधाएं भी उपलब्ध होनी चाहिए। नई तकनीक का अधिक उपयोग होना चाहिए। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बेहतर योजनाएं बनानी होंगी।