आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि केंद्र सरकार हिमाचलियों का हक छीनने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वाटर सेस लागू किया है और इसे रोकने के लिए दिल्ली से पत्र भेजे जा रहे हैं। इन पत्रों की वजह से विवाद पैदा हुआ है, जबकि वाटर सेस को राज्य सरकार ने हिमाचल में बिजली परियोजनाओं पर लागू किया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण लोग महंगाई की चक्की में पिस रहे हैं। इसके साथ ही प्रदेश में ओपीएस के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कर्मचारियों का अभी जीपीएफ खाता नहीं खुला है, उनका अगले महीने खुल जाएगा। उनके खाते में बढ़ा हुआ डीए और एरियर आ जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्ज के सहारे राज्य को नहीं चला सकते हैं। उन्होनें कहा कि मंत्रियों को आय के नए साधन तलाशने के निर्देश दिए गए हैं और इस पर काम भी हो रहा है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने ऐसा बजट पेश किया है, इससे चार साल में प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। कांग्रेस सरकार का हर काम गारंटी वाला है। केंद्र सरकार कर्मचारियों के एनपीएस के 9000 करोड़ पर कुंडली मारकर बैठी है। कर्ज के बोझ में राज्य इतना डूब चुका है कि सरकार की आय का 22 फीसदी हिस्सा ब्याज चुकाने में ही चला जाता है। उन्होंने कहा कि इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने वाटर सेस योजना को लांच किया है, लेकिन अब इस योजना का विरोध हो रहा है और दिल्ली से इसके लिए पत्र भेजे जा रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटेगी।