केसर के नाम पर कुसुंभ की खेती कर रहे किसान, राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड ने जारी की एडवाइजरी

Spread the love

आवाज़ ए हिमाचल 

शिमला। देखने में आया है कि आजकल कुछ किसान प्रदेश के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में केसर की खेती होने का दावा कर रहे हैं। साथ ही केसर के नाम पर किसानों को किसी अन्य प्रकार के पौधे का बीज देकर इस खेती के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है, लेकिन जब किसान अपनी तैयार फसल को लेकर मार्केट में पहुंच रहे है, तो वे स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। उन्हें न तो उनके द्वारा तैयार तथाकथित केसर की खेती के दाम मिल रहे हैं, बल्कि किसानों को परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है। इस संबंध में हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर व हमीरपुर के कुछ उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में केसर उगाने की सलाह भी दी गई है। आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान जोगिंद्रनगर स्थित आयुष मंत्रालय भारत सरकार के राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के उत्तरी भारत राज्यों के क्षेत्रीय सुगमता केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डा. अरुण चंदन द्वारा एक एडवाइजरी जारी करके किसानों को सावधान रहने का सुझाव दिया गया है।

उनका कहना है कि किसान असल में केसर के नाम पर कुसुंभ नामक पौधे की खेती कर रहे हैं। असली केसर एक बहुत अधिक कीमत वाली फसल है, जिसे छह से आठ हजार फुट की ऊंचाई के बीच उगाया जा सकता है। केसर को उष्णकटिबंधीय कृषि जलवायु वाली परिस्थितियों में तैयार नहीं किया जा सकता है। किसान ऐसे किसी भी दावे से भ्रमित न हों और 18001205778 राष्ट्रीय हेल्पलाइन से जानकारी ले सकते हैं या आरसीएफसी के क्षेत्रीय कार्यालय जोगिंद्रनगर से संपर्क कर सकते हैं। डा. अरुण चंदन ने बताया कि आरसीएफसी को फील्ड विजिट के दौरान इस बात का पता चला है कि किसानों के साथ-साथ संबंधित तकनीकी विभाग या एजेंसी या व्यक्ति को औषधीय पौधों की वास्तविक प्रजातियों का ज्ञान या पहचान न होने से गलत प्रजाति के पौधों की खेती को प्रोत्साहित कर बैठते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *