आवाज़ ए हिमाचल
01 जनवरी।देश में साल का पहला दिन लोगों के लिए राहत भरी खबर लाई है। दरअसल सीडीएससीओ की विशेषज्ञ समिति ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 रोधी टीके ‘कोविशील्ड’ को भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने की सिफारिश कर दी है।
सीडीएससीओ की विशेषज्ञ समिति ने कोविशील्ड को मंजूरी देने का अनुमोदन किया है अब डीजीसीआई इस अनुमोदन पर विचार कर अंतिम रूप से मंजूरी देने पर काम करेगा। यदि ऐसा होता है तो यह देश में आपात इस्तेमाल की मंजूरी पाने वाली पहली वैक्सीन बन जाएगी।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई इस वैक्सीन का उत्पादन भारतीय कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की इस वैक्सीन को ‘वैक्सीन फॉर द वर्ल्ड’ भी कहा जा रहा है, क्योंकि यह सस्ती है और इस वैक्सीन की देखरेख, फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन की तुलना में आसान है।
* सामान्य फ्रीज में भी रख सकते हैं इस वैक्सीन को
अन्य वैक्सीन जैसे पीफाइजर की वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फ्रीज करके रखना है जिसके लिए फ्रीजर की व्यवस्था करना भारत के लिए बड़ी चुनौती होगी। वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन के लिए भी डीप फ्रीजर की आवश्यकता होगी। लेकिन ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को सामान्य फ्रीज में रखा जा सकता है।
हालांकि ब्रिटेन इस वैक्सीन को मंजूरी देने वाला पहला देश बना है। टीकाकरण में सफलता मिलने के बाद ब्रिटेन की सरकार ने यह उम्मीद जताई है कि इससे उनके वैक्सीन प्रोग्राम को तेजी मिलेगी और जल्द से जल्द और भी लोगों के पास पहुंचेगी।
सीरम इंस्टिट्यूट की इस वैक्सीन की एक खूबी यह भी होगी कि यह अन्य वैक्सीन की अपेक्षा कम कीमत पर मिलेगी।
बता दें कि नवंबर में एक साक्षात्कार में पूनावाला कह चुके हैं कि वैक्सीन के दोनों डोज की कीमत एक हजार रुपए से कम रखी जाएगी।
इससे पहले सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने सोमवार को जानकारी दी थी कि कोरोना वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ की 4-5 करोड़ खुराक सबसे पहले भारत को दी जाएगी। उन्होंने कहा था कि कंपनी की योजना अगले साल मार्च तक टीके का मासिक उत्पादन 10 करोड़ खुराक तक करने की है। भारत सरकार का लक्ष्य है कि वो अगले वर्ष जुलाई तक कम से कम 300 मिलियन यानी 30 करोड़ लोगों को कोविड वैक्सीन लगाना चाहती है।