हिमाचल में भांग की खेती को वैध करने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी गठित, सीएम सुक्खू ने सदन में किया एलान

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आवाज़ ए हिमाचल 

शिमला। हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती वैध करने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने गुरुवार को सदन में पांच सदस्यीय कमेटी के गठन का एलान किया है। यह कमेटी एक महीने के भीतर सरकार को रिपोर्ट देगी कि भांग की खेती क्योंवैध किया जाए। सीएम ने सदन में कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा। इसमें पक्ष और विपक्ष के पांच सदस्य शामिल होंगे। राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में यह कमेटी रिपोर्ट तैयार करेगी।

कमेटी के अध्यक्ष राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी होंगे, जबकि विधायक पूर्ण चंद, हंसराज, डॉ. जनकराज, सुंदर ठाकुर सदस्य होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि भांग को औषधि के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। कैंसर, मधुमेह, तनाव आदि की दवाओं में इसका इस्तेमाल होता है, लेकिन रिपोर्ट आने के बाद ही इसका सही इस्तेमाल पता चलेगा। यह भी देखना होगा कि नशे की प्रवृति न बढ़े।

भाजपा विधायक पूर्ण चंद की ओर से नियम 63 के तहत भांग की खेती को वैद्य करने की चर्चा का सीएम जवाब दे रहे थे। सीएम ने कहा कि एनडीपीसी एक्ट 1985 के तहत कई राज्यों में अफीम की खेती वैद्य है, जबकि उत्तराखंड में औद्योगिक क्षेत्रों के लिए भांग की खेती की जा रही है। इस एक्ट के सेक्शन 10 में राज्यों को भांग की खेती, उत्पादन और इसके क्रय-विक्रय का अधिकार है।

भांग की खेती से बढ़ेगा हिमाचल के युवाओं का रोजगार, प्रदेश सरकार को होगी आय : पूर्णचंद

विधानसभा के बजट सत्र में भांग की खेती को वैद्य किए जाने की चर्चा में भाग लेते हुए विधायक पूर्णचंद ठाकुर ने कहा कि यह लोगों के रोजगार से जुड़ा मामला है। इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं सरकार की आय में भी बढ़ोतरी होगी। विधायक सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि जब वह विपक्ष में थे उस समय भी इस विषय पर बोलते थे, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि यह चंबा, कांगड़ा, शिमला समेत पहाड़ी क्षेत्रों से जुड़ा मुद्दा है। इससे कैंसर, ट्यूमर, समेत कई रोगों की दवाएं बनती हैं। उन्होंने कहा कि इस्राइल ने भी भांग से कोरोना की दवा बनाई थी, इसके अलावा हमें भांग को चिट्टे से नहीं जोड़ना चाहिए।

सुरेंद्र शौरी ने कहा कि भांग की नशीली और औद्योगिक खेती में अंतर है। भांग का नशे वाला पौधा 2 से 3 जबकि औषधीय गुण वाला पौधा 10 से 12 फीट का होता है। औषधीय पौधे में 0.03 फीसदी नशा होता है। विधायक हंसराज ने कहा कि अगर भांग को डाॅक्टरों की सलाह पर सही मात्रा में लिया जाए तो यह अच्छी दवा है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी बीमार हुई थी तो डाॅक्टरों ने भांग के तेल के लिए कहा था। चुराह, भरमौर और डलहौजी में 600 लोग अंदर गए हैं, जबकि 400 पर केस हैं।

मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश में दिए लाइसेंस : जनकराज

विधायक डॉ. जनकराज ने कहा कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में भांग के पौधे उगने के लाइसेंस दिए हैं। उन्होंने कहा कि भांग के अतिरिक्त एक और पौधा अफीम की खेती को भी लीगल किया जाना चाहिए। अफीम से कैंसर, एक्सीडेंट मरीजों का उपचार, मेडिसिन और आयुर्वेदिक में इसका प्रयोग होता है। इसके अलावा मिरगी का दौरा, ब्लड कैंसर, कीमोथैरेपी, न्यूरो से संबंधित बीमारी में भी दर्द कम करने में इसका प्रयोग किया जाता है। सरकार को इस पर नीति बनाने की जरूरत है।

 

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