आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। विधानसभा का बजट सत्र समाप्त होने एक रोज पहले सरकार ने दो नए विधेयक विधानसभा में रखे। इनमें एक विधायक सुख आश्रय योजना का और दूसरा भूमिगत जल से संबंधित है। इन विधायकों पर अब गुरुवार को बजट सत्र के आखिरी दिन चर्चा होगी और इन्हें पारित किया जाएगा। राज्य सरकार अनाथ बच्चों को 27 वर्ष की आयु तक रहने का कोई स्थान, आश्रय, भोजन, वस्त्र, देखरेख और शिक्षा इत्यादि पर सालाना 272 करोड़ खर्च करेगी। यह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सबसे पहले घोषणा थी। सदन में रखे गए विधेयक का नाम हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय (राज्य के बालकों की देखभाल, संरक्षण और आत्मनिर्भरता) अधिनियम 2023 रखा गया है। इस अधिनियम में बालकों से अर्थ अनाथ बच्चों और मानसिक या शारीरिक रूप से बीमार या प्रताडि़त बच्चों से भी है। इन्हें अब ‘राज्य का बालक’ बताया गया है।
इन्हें राज्य सरकार वस्त्र भत्ता, उत्सव भत्ता देने के अलावा इंटरस्टेट या इंट्रास्टेट टूअर भी करवाएगी। ऐसे बच्चों के आवर्ती जमा खाता खोले जाएंगे, जिसमें सरकार पैसे जमा करवाएगी। इन्हें 23 साल की उम्र तक शिक्षा उपलब्ध करवाई जाएगी और स्किल ट्रेनिंग भी सरकार ही करवाएगी। उन्हें उच्च शिक्षा या कौशल विकास ट्रेनिंग के दौरान जीवन निर्वाह के लिए अलग से भत्ता दिया जाएगा।
18 साल की आयु के बाद यदि ये बच्चे स्टार्टअप स्थापित करना चाहते हों, तो उन्हें स्वरोजगार में सहायता भी सरकार ही करेगी। सुखाश्रय विधेयक में कहा गया है कि यदि कोई अनाथ भूमिहीन है, तो उसके जीवनकल के दौरान किसी भी समय तीन बिस्वा सरकारी भूमि भवन निर्माण के लिए दी जाएगी। इसके लिए अनुदान भी राज्य सरकार अलग से देगी। विधानसभा में रखी गई डिटेल के मुताबिक राज्य सरकार 101 करोड़ रुपए का प्रारंभिक कोष स्थापित करेगी, जिसे किसी भी बैंक में एफडी के तौर पर रखा जाएगा और इसका ब्याज अनाथ बच्चों की देखभाल के लिए खर्च होगा। इस निधि में ऐसे अनुदान या दान भी जमा किए जाएंगे, जो किसी संगठन या व्यक्ति द्वारा दिए जाएंगे।