कैग रिपोर्ट में खुलासा, कर्मचारियों के NPS अंशदान में गड़बड़

Spread the love

आवाज़ ए हिमाचल

 शिमला। भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने हिमाचल सरकार की वित्तीय स्थिति को लेकर चिंताजनक सवाल उठाए हैं। राज्य कर्ज के जाल में उलझता जा रहा है और अगले पांच साल में 34001 करोड़ का लोन वापस चुकाना होगा। कैग की रिपोर्ट मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को विधानसभा में रखी, जो 31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वर्ष पर आधारित है। वित्त वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली यानी एनपीएस कर्मचारियों की पेंशन को लेकर भी बड़ा खुलासा हुआ है। इस साल राज्य सरकार ने एनपीएस में जाने वाली कंट्रीब्यूशन का पूरा पैसा ही केंद्र सरकार की एजेंसी एनएसडीएल को नहीं दिया।

रिपोर्ट कहती है कि इस साल 1133 करोड़ राज्य सरकार की 14 फ़ीसदी हिस्सेदारी के हिसाब से जाने थे, लेकिन 1126 करोड़ ही दिए गए। राज्य सरकार ने पहले 5.42 करोड़ का कम अंशदान दिया और बाद में इस राशि पर बनने वाला 54 लाख का ब्याज भी नहीं चुकाया। यही वह आशंकाएं थीं, जिनके कारण एनपीएस कर्मचारी इस सिस्टम से छुटकारा चाहते थे। हालांकि पहली अप्रैल, 2023 से हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू हो रही है। कैग रिपोर्ट कहती है कि सस्ते राशन, बिजली और परिवहन इत्यादि के लिए दी जाने वाली सबसिडी का भार राज्य सरकार पर बढ़ रहा है। यह 906 करोड़ से बढक़र 1200 करोड़ हो गया है। इसे नियंत्रित करने की जरूरत है।

हिमाचल कर्ज के जाल में भी फंस गया है। राज्य सरकार पर वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत में में 68630 करोड़ रुपए का कर्ज था। इस कुल कर्ज में 45297 करोड़ रुपए मूल कर्ज था और 23333 करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर था। हालत यह है कि ब्याज को चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। आगामी पांच साल के भीतर राज्य सरकार को 27,677 करोड़ का कर्ज चुकाना है। हालांकि अब कर्ज का आंकड़ा बढ़ गया है, लेकिन वित्तीय वर्ष 2021-22 के कर्ज का आंकड़ा लें तो एक साल में ही कुल लोन का दस फीसदी यानी 6992 करोड़ एक साल में अदा करना है। यह गंभीर स्थिति है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *