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नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने के मुद्दे पर अमरीका के बाद जर्मनी की भी प्रतिक्रिया आ चुकी है। अब इसे लेकर भारत में भाजपा और कांग्रेस के बीच विवाद शुरू हो गया है। एक ओर जहां कांग्रेस नेता जर्मनी का धन्यवाद कर रहे हैं। वहीं, भाजपा ने साफ कर दिया है कि आंतरिक मामलों में विदेशी दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गौर हो कि दरअसल, जर्मनी के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता एनालीना बेयरबॉक ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा था कि हमने भारत में विपक्षी नेता राहुल गाधी के खिलाफ फैसले और उनकी संसदीय सदस्यता निलंबित किए जाने का संज्ञान लिया है। हमारी जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी फैसले को चुनौती दे सकते हैं। तब यह स्पष्ट होगा कि क्या यह फैसला टिक पाएगा और क्या निलंबन का कोई आधार है? प्रवक्ता ने कहा कि जर्मनी को उम्मीद है कि न्यायिक स्वतंत्रता के मानक और मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत समान रूप से राहुल गांधी के खिलाफ कार्यवाही पर लागू होंगे।
इस पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया कि राहुल गांधी के उत्पीडऩ के जरिए भारत में लोकतंत्र से समझौता किया जा रहा है और इसका संज्ञान लेने के लिए जर्मनी के विदेश मंत्रालय और डॉयचे वैले के मुख्य अंतरराष्ट्रीय संपादक रिचर्ड वाकर का शुक्रिया।
उधर, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस नेता के इस ट्वीट पर पलटवार किया है। उन्होंने लिखा कि भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने के लिए विदेशी ताकतों को बुलाने के लिए राहुल गांधी का धन्यवाद। याद रहे कि भारतीय न्यायपालिका पर विदेशी दखल का असर नहीं होगा। भारत विदेशी प्रभाव को अब और बर्दाश्त नहीं करेगा, क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। उधर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कांग्रेस पर विदेशी शक्तियों को भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने के लिए आमंत्रित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नया भारत विदेशी हस्तक्षेप को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।
हालांकि कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने मामले को संभालते हुए कहा कि कांग्रेस का दृढ़ विश्वास है कि भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को खुद नरेंद्र मोदी की ओर से हमारी संस्थाओं पर हमले, उत्पीडऩ की राजनीति और लोकतंत्र पर पैदा हुए खतरों से निपटना होगा। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां निडरता से उनका मुकाबला करेंगी।