आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। बिलासपुर का नलवाड़ी मेला मूल रूप से बैलों के क्रय-विक्रय से संबंध था। जिसमें कालांतर में अन्य दुधारू पशुओं की खरीद फरोक भी सामिल किया गया। यह बात आज मेला आयोजन समिति अध्यक्ष एवं उपायुक्त बिलासपुर आबिद हुसैन सादिक ने पशुपालन विभाग द्वारा मेले में मवेशीयों के विभिन्न वर्गो मेें करवाई गई प्रतियोगिता में पालकों को पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये।
उन्होने बताया कि मेले के दौरान विभिन्न प्रजातियों के लगभग 150 से अधिक मवेशीयों ने भाग लिया।
नलवाडी मेला में दुधारू भैंसों की विभिन्न नस्लों की श्रेणियों में प्रथम स्थान बिट्टू जाट सुन्दरनगर की भैंस मुर्राह नस्ल को पांच हजार पांच सौ रूपये, भण्डारी दीन गांव बेनला ब्राहम्णा की भैंस नीली रावी को पांच हजार पांच सौ रूपये तथा बलदेव गांव सीहड़ा की भैंस पहाड़ी नस्ल में को एक हजार रूपये नकद राशि मुख्यातिथि द्वारा वितरित की गई।
इसी प्रकार दुधारू गाय की विभिन्न नस्लों की श्रेणियों में प्रथम सुरजीत गांव खैरियां की गाय जर्सी नस्ल को पांच हजार, रतन लान गांव प्लास्ला की गाय साहीवाल नस्ल को दो हजार तथा गोपाल दास गांव जंगल सुंगल की गाय हालिस्टीन प्रिसियन नस्ल को पांच हजार का नकद पुरस्कार दिया गया। इसी प्रकार पहाडी नस्ल के बैल व्यस्क कैटागरी में दो हजार पांच सौ रूपये और हरयाणा नस्ल के बैल दो दांत कैटागरी में पांच हजार तथा सीरे कैटेगरी में तीन हजार एक सौ रूपये राशि से पुरस्कृत किया गया।