आवाज़ ए हिमाचल
नई दिल्ली। नन्हीं गौरैया मनुष्य की सबसे पुरानी साथी पक्षियों में एक है, जो किसानों की खास मित्र कहलाती है। यह अकेली पक्षी है जो कभी पूरी दुनिया में पाई जाती थी, जिसकी चहचहाहट से हमारी नींद टूटती थी, लेकिन ऊंची-ऊंची इमारतों और प्राकृतिक वनस्पतियों के अभाव के कारण गौरैया की प्रजाति तेजी से लुप्त हो रही है। भारत और दुनिया भर में गौरैया पक्षी की संख्या में कमी आ रही है, लेकिन इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को गौरैया के संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। गौरैया पृथ्वी पर पाई जाने वाली सबसे आम और सबसे पुरानी पक्षी प्रजातियों में से एक है। गौरैया की विलुप्त होती प्रजाति और कम होती आबादी बेहद चिंता का विषय है।
हर साल 20 मार्च को नेचर फॉरएवर सोसाइटी (भारत) और इको-सिस एक्शन फ़ाउंडेशन (फ्रांस) के सहयोग से विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत नासिक के रहने वाले मोहम्मद दिलावर ने नेचर फॉरएवर सोसायटी (NFS) की स्थापना करके की थी। नेचर फॉरएवर सोसायटी ने हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाने की योजना बनाई गई। पहली बार साल 2010 में यह दिन मनाया गया था।
क्यों मनाया जाता विश्व गौरैया दिवस?
विश्व गौरैया दिवस मनाने का उद्देश्य गौरैया पक्षी की विलुप्त होती प्रजाति को बचाना है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, आधुनिक शहरीकरण और लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से गौरैया पक्षी विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है। एक वक्त था जब गौरैया की चीं-चीं की आवाज से ही लोगों की नींद खुला करती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। यह एक ऐसा पक्षी है, जो मनुष्य के इर्द-गिर्द रहना पसंद करता है।
ऐसे बचाएं गौरैया को: गौरैया घर में घोंसला बनाए तो उसे हटाएं नहीं। रोजाना आंगन, खिड़की, बाहरी दीवारों पर दाना पानी रखें। जूते के डिब्बे, प्लास्टिक की बड़ी बोतलें और मटकी को टांगें, जिसमें वे घोंसला बना सकें। बाजार से कृत्रिम घोंसले लाकर रख सकते हैं। घरों में धान, बाजरा की बालियां लटका कर रखें।
एक रिपोर्ट के अनुसार, गौरैया की संख्या में 60-80 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन क्या आपको मालूम है कि यदि हमने थोड़ी सी कोशिश शुरू कर दी तो इस विलुप्त होती प्रजाति को बचाया जा सकता है। गौरैया से मानव हितों एवं पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इसका संरक्षण जरूरी है. इनके संरक्षण के लिए निम्न कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है।
- गौरैया को कभी नमक वाला खाना नहीं डालना चाहिए, नमक उनके लिए हानिकारक होता है।
- कार्बन फूट्रिंट को कम करने की कोशिश करें, जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं का समाधान हो और गर्मी के कारण गौरैया ही नहीं अन्य पक्षियों की जान बचाई जा सके।
- वृक्षारोपण को प्राथमिकता देते हुए पक्षियों आश्रय की व्यवस्था सुचारु की जाए, ताकि उनकी प्रजाति विलुप्त नहीं हो।
- अगर आपके घरों में गौरैया घोंसला बनाने की कोशिश करती है, तो इसके लिए घोसले की अतिरिक्त स्थान मुहैया कराया जाये।
- पतंगबाजी करते समय नायलॉन या चाइनीज निर्मित मांझे का इस्तेमाल नहीं करें, ताकि गौरैया समेत किसी अन्य पक्षियों की सुरक्षा की जा सके।
- जिस तरह ऊंची-ऊंची इमारतों के कारण गौरैया के पोषण की समस्याएं आ रही हैं। इसके विकल्प में गौरैया के दाने-पानी की व्यवस्था हर घर में छत या आंगन पर करे,