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शांति गौतम, बीबीएन। श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन व्यासपीठ तरुण आनन्द गोस्वामी ने भगवान श्रीकृष्ण जी के अवतरण की कथा का वर्णन किया । इस अवसर पर बधाई भजनों से वातावरण भक्तिमय हो गया और श्रोता नाचने पर मजबूर हो गए। इससे पहले गजेन्द्र मोक्ष का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि इस मिथ्या जगत में बिना हरि नाम के जीव का कल्याण होना असम्भव है। गज का बहुत बड़ा परिवार था मगर विपति में किसी ने भी साथ न दिया। प्राण संकट में देख गज ने श्री हरि को पुकारा। उसी समय भगवान श्री हरि में, ग्राह और गज का उद्धार किया । चन्द्रवंश का वर्णन करते हुए वसुदेव देवकी के विवाह का प्रसंग सुनाया।
विवाह के बाद आकाश वाणी हुई कि हे कंस जिस बहन को ससुराल छोड़ने जा रहा है उसी का आठवां गर्भ तेरा काल होगा । यह सुन कर कंस देवकी का वध करना चाहता है तो वसुदेव जी मे कहा बहन की हुत्या कर वह कलंक क्यों लेना चाहता है, देवकी के जो भी संतान होगी मै आपको सौंप दूंगा । इसी तरह जब देवकी के 6 बच्चों की कंस हत्या कर देता है तो सातवें गर्भ मे श्री बलराम जी को भगवान संकर्षण विद्या से रोहिणी के गर्भ मे पहुंचा देते है। आठवें गर्भ मे स्वयं भगवान श्री कृष्ण जी का अवतरण होता है । रातों रात वसुदेव जी कृष्ण को गोकुल नंद जिनके घर पहुंचा देते हैं। सुबह समाचार मिलने पर नंद गांव में उत्सव मनाया जाता है।
अवसर पर हरीश शर्मा, गुरचरण सिंह बाबा, पुनीत कौशल, संजीव शर्मा, बग्गा राम, कुलदीप सिंह , नसीब सिंह , श्याम, जगतार सिंह, हरमिंदर , दीपक बिष्ट, विवेक डोगरा, जसविंद्र सिंह,वीरेंद्र सहित अनेक लोग उपस्थित थे।