आवाज ए हिमाचल
29 दिसम्बर। कच्चे माल के दाम बढ़ने से एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब पूरी तरह से हिल गया है। कुछ कच्चे माल की कीमतें दोगुना से भी ज्यादा हो गई हैं। ऐसे में पुराने ऑर्डर पूरे करना उद्योगपतियों के लिए मुश्किल हो गया है। लघु उद्योग में पैसे की किल्लत हो गई है। समस्या के समाधान के लिए दवा निर्माता संघ का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही प्रदेश सरकार से मिलेगा।
अगर दाम इसी तरह बढ़ते गए तो आने वाले समय में जीवनरक्षक दवाओं के दामों में भी बढ़ोतरी संभावित है। बताया जा रहा है कि पैरा सिटामोल पाउडर 350 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 500 रुपये हो गया है। निमुस्लाइड के दाम 700 से बढ़कर अब 1400 रुपये प्रति किलो हो गए गए हैं। दवा की पैकिंग में काम आने वाली पीवीसी के दाम 80 से 100 फीसदी जबकि गत्ते के 25 फीसदी और एल्यूमिनियम के 20 फीसदी दाम बढ़ा दिए गए हैं। हिमाचल में 750 दवा उद्योग हैं। अकेले बद्दी में 350 दवा उद्योग संचालित हैं। कोरोना महामारी के दौरान सबसे पहले दवा उद्योगों ने अपना काम चालू किया और देश में दवाइयों की किल्लत नहीं होने दी। लेकिन अब दोगुना दाम बढ़ने से उद्यमियों को पुराने ऑर्डर पूरा करने में काफी दिक्कत हो रही है।