आवाज़ ए हिमाचल
नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए हैं कि फर्स्ट क्लास में बच्चों के प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र 6 साल की जाए। शिक्षा मंत्रालय की तरफ से जो आदेश जारी हुआ है, उसमें कहा गया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रथम चरण में बच्चों की शिक्षा को मजबूत करने के लिए उनकी आयु सीमा बढ़ानी जरूरी है। केंद्र ने राज्यों से पूर्व-स्कूली शिक्षा (DPSE) पाठ्यक्रम में दो साल का डिप्लोमा डिजाइन करने और चलाने की प्रक्रिया शुरू करने का भी अनुरोध किया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 देश के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में बुनियादी स्तर पर बच्चों के सीखने की शक्ति और समझ विकसित करने की सिफारिश करती है। पहले यानि मूलभूत चरण में सभी बच्चों (3 से 8 वर्ष के बीच) के लिए पांच साल सीखने के अवसर होते हैं, जिसमें तीन साल की प्री-स्कूल शिक्षा और दो साल की प्रारंभिक प्राथमिक ग्रेड-I और ग्रेड- II शामिल हैं। मंत्रालय का कहना है कि यह केवल आंगनवाड़ियों या सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त, निजी और गैर-सरकारी संगठन द्वारा संचालित स्कूल पूर्व (प्री-स्कूल) केंद्रों में पढ़ने वाले सभी बच्चों के लिए तीन वर्ष की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करके ही किया जा सकता है।
बयान के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने इस दृष्टि पर अमल करने के लिए 9 फरवरी 2023 के एक पत्र के माध्यम से सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों को प्रवेश के लिए अब आयु को समान रूप से 6+ वर्ष करने तथा 6+ वर्ष की आयु में पहली कक्षा में प्रवेश देने के निर्देशों को दोहराया है। मूलभूत चरण में सबसे महत्वपूर्ण कारक योग्य शिक्षकों की उपलब्धता है, जो विशेष रूप से आयु और विकासात्मक रूप से उपयुक्त पाठ्यक्रम और शिक्षा शास्त्र में प्रशिक्षित हैं। फाउंडेशनल स्टेज के लिए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF-FS) भी हाल ही में यानि 20 अक्टूबर 2022 को लॉन्च किया गया है। इस दृष्टि को पूरा करने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रवेश प्रदान करने के लिए छह साल की आयु के निर्देश दोहराए हैं।