NDRF दल ने शेयर किया एक्सपीरिंयस
आवाज़ ए हिमाचल
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तुर्की और सीरिया के भूकंप प्रभावित इलाकों में खोज, बचाव और राहत कार्य के लिए ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत काम करने वाली पूरी भारतीय टीम ने बहुत बेहतरीन काम किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि तुर्की पहुंचने में भारतीय टीम की तेजी ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। पीएम मोदी ने इस अभियान में भाग लेकर स्वदेश लौटे राहत-बचाव दल के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आप सभी पर देश को गर्व है। पीएम मोदी ने कहा कि ‘ऑपरेशन दोस्त’ से जुड़ी पूरी टीम, राष्ट्रीय आपदा राहत बल (NDRF) हो, आर्मी हो, एयरफोर्स हो या हमारी दूसरी सेवाओं के साथी हों, सभी ने बहुत बेहतरीन काम किया है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ देश कोई भी हो, अगर बात मानता की है, मानवीय संवेदना की है, तो भारत मानवा हित को सर्वोपरि रखता है।” उन्होंने कहा कि तुर्की में भूकंप के बाद आप सभी जितनी जल्दी वहां पहुंचे, इससे पूरे विश्व का ध्यान आप की ओर गया है। यह आपकी तैयारियों और आपके प्रशिक्षण की कुशलता को दर्शाता है।
भूकंप प्रभावित तुर्किये में NDRF का मिशन भावनात्मक, पेशेवर और व्यक्तिगत चुनौतियों से भरा रहा। मिशन के लिए एक अर्द्धचिकित्सा कर्मी को अपने 18 महीने के जुड़वां बच्चों को छोड़कर जाना पड़ा। इस अभियान के लिए अधिकारियों को रातों-रात 140 से अधिक पासपोर्ट तैयार करने के लिए सैकड़ों कागजों से संबंधित प्रक्रिया पूरी करनी पड़ी और बचावकर्मी 10 दिन तक नहा भी नहीं पाए। इस मुश्किल मिशन से लौटने के बाद भी आपदा कर्मियों का यही कहना था कि ‘‘काश हम और जानें बचा पाते।” इन कर्मियों को तुर्किये में राहत अभियान के दौरान पीड़ितों और उनके परिजनों से बहुत सराहना मिली। अपनी पत्नी और तीन बच्चों की मौत का शोक मना रहे ऐसे ही एक तुर्की नागरिक अहमद ने उप कमांडेंट दीपक को शाकाहारी भोजन उपलब्ध कराने में मदद की। दीपक ने बताया, ‘‘उन्हें जो शाकाहारी पदार्थ मिले, वो सेब या टमाटर की तरह थे। उन्होंने इस पर नमक तथा स्थानीय मसाले डालकर स्वाद बढ़ाने की कोशिश की।” NDRF के 152 सदस्यीय तीन दल और 6 खोजी कुत्ते फुर्ती के साथ आपदा क्षेत्र में पहुंचे। इस दल का वहां से लौटना बहुत भावनात्मक रहा। उन्होंने बताया कि इस मुश्किल वक्त में भी आपदा राहत कर्मियों की मदद करने वाले लोगों के साथ तार से जुड़ गए थे। तुर्किये के अनेक नागरिकों अपने हिंदुस्तानी दोस्तों के प्रति नम आंखों से आभार जताया।
‘ऑपरेशन दोस्त’ नामक इस अभियान की शुरुआत सात फरवरी को हुई। इसमें दो छोटी बच्चियों को जिंदा बचाया गया और मलबे से 85 शव बाहर निकाले गए। यह दल पिछले सप्ताह भारत लौट आया। NDRF के महानिरीक्षक एन एस बुंदेला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘विदेश मंत्रालय के कंसुलर पासपोर्ट और वीजा विभाग ने रातों रात हमारे बचावकर्मियों के लिए पासपोर्ट तैयार किए।” किसी विदेशी आपदा राहत अभियान में पहली बार भेजी गयीं पांच महिला कर्मियों में शामिल कांस्टेबल सुषमा यादव (52) को अपने 18 महीने के जुड़वां बच्चों को छोड़कर अचानक निकलना पड़ा। लेकिन उनके मन में एक बार भी अभियान में नहीं जाने की बात नहीं आई। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो कौन करेगा?” उन्होंने कहा, ‘‘एनडीआरएफ की टीम में दो पैरामेडिक थे जिनमें मैं और एक अन्य पुरुष साथी थे। हमारा काम बचावकर्मियों को सुरक्षित, स्वस्थ रखना था ताकि वे शून्य से कम तापमान में बिना बीमार हुए काम करते रहें।