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हमीरपुर। अब हिमाचल में भी दालचीनी की खेती होगी। वर्ष 2025 तक दालचीनी की फसल पहली बार बाजार में आएगी। प्रदेश के पांच जिलों हमीरपुर, सिरमौर, बिलासपुर, ऊना, कांगड़ा में वर्ष 2021 में पहली बार ट्रायल के रूप में 50 -50 पौधे लगाए गए थे। वहीं वर्ष 2022 में किसानों की बढ़ती मांग को देखते हुए इन पांचों जिलों में करीब 10,000 के करीब अतिरिक्त पौधे दालचीनी के लगाए गए। अब एक सप्ताह पूर्व सीएसआईआर (हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर) से वैज्ञानिक डॉ. रमेश चौहान के नेतृत्व में टीम ने दोबारा से इन पौधों का निरीक्षण किया है।
निरीक्षण के दौरान अनुमान के अनुरूप पौधे ठीक हैं तथा पौधों की ग्रोथ भी ठीक है। अब वर्ष 2025 तक इन पौधों से दालचीनी की फसल मिलने की पूरी संभावना है। हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर से योजना अन्वेषक वैज्ञानिक डॉ. रमेश चौहान ने कहा कि दालचीनी के पौधों का निरीक्षण किया गया है। इन पौधों से चार वर्ष के बाद दालचीनी प्राप्त होती है। वर्ष 2025 तक दालचीनी की फसल मिलने लगेगी। सभी पौधे अच्छी ग्रोथ कर रहे हैं। इस परियोजना में उनके साथ डॉ. सतबीर सिंह तथा परियोजना सहायक विक्रांत सिंह, रोमिका ठाकुर, सिद्धार्थ भागला आदि भी कार्य कर रहे हैं।
दालचीनी औषधीय गुणों से भरपूर है। दालचीनी के सेवन से बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। दालचीनी के सेवन से पेट गैस, कब्ज की समस्या से राहत मिल सकती है। सर्दी-जुकाम, हड्डियों में दिक्कत, गठिया, मोटापा, मधुमेह आदि समस्याओं से निजात पाने में दालचीनी का सेवन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। वहीं, इसके सेवन से पाचन संबंधी समस्याओं से भी निजात मिलती है। दालचीनी का इस्तेमाल मसाले के रूप में भी किया जाता है।