डॉक्टरों व स्टाफ की कमी, जयराम सरकार ने की थी अस्पताल को 200 बेड करने की घोषणा व दिया था ट्रामा सेंटर का दर्जा
आवाज़ ए हिमाचल
जी डी शर्मा, नालागढ़। हिमाचल प्रदेश में सरकार चाहे भाजपा की रही हो या कांग्रेस की लेकिन किसी भी सरकार ने प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने कोशिश नहीं की है, बल्कि क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के बड़े-बड़े दावे ही किए गए हैं, जिसकी पोल एकमात्र सिविल अस्पताल नालागढ़ खोल रहा है, जहां पर सालों से यहां पर डॉक्टरों व स्टाफ की कमी है। अस्पताल में डॉक्टर न होने के चलते जहां क्षेत्रवासियों को पंजाब हरियाणा और अन्य निजी अस्पतालों में इलाज महंगे दामों पर करवाना पड़ता है। वहीं अस्पताल में अल्ट्रासाउंड भी नहीं हो रहे हैं, जिसके कारण निजी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को महंगे दामों पर अपना अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ रहा है।
पिछली जयराम सरकार की बात की जाए तो उन्होंने जाते-जाते अस्पताल को जहां 200 बेड का अस्पताल का दर्जा दे दिया वही ट्रामा सेंटर भी खोलने का दावा किया था लेकिन अस्पताल की हालत इस कदर खस्ता है कि 100 बैड के हिसाब से भी यहां पर स्टाफ व डॉक्टर नहीं है और रही बात ट्रामा सेंटर की वो तो सफेद हाथी ही बनकर रह गया है क्योंकि जयराम सरकार ने मात्र वोट बैंक के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जबकि जमीनी तौर पर कुछ भी काम नहीं हुए हैं।
लोग बोले- जल्द ही अस्पताल की दशा नहीं सुधारी गई तो उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे
अब क्षेत्र की जनता ने हिमाचल प्रदेश में बनी कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार से अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं को दूर करने की जहां मांग उठाई है वहीं सरकार से जल्द से जल्द अस्पताल में डॉक्टरों व स्टाफ की कमी को पूरा करने की गुहार लगाई गई है। क्षेत्र वासियों ने सरकार को चेतावनी देकर भी कहा है कि अगर जल्द ही अस्पताल की दशा नहीं सुधारी गई तो वह एकत्रित होकर उग्र आंदोलन करने को भी मजबूर होंगे जिसकी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन व सरकार की होगी अब देखना यही होगा कि कब प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार नालागढ़ के सिविल अस्पताल में डॉक्टरों व स्टाफ की कमी को पूरा कर पाती है और कब लोगों को आ रही स्वास्थ्य से संबंधित दिक्कतों से निजात मिलती है।