आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। आर्टेरिअल ब्लड गैस (एबीजी) मशीनों की खरीद में कमीशन लेने के आरोप में विजिलेंस ने गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक को गिरफ्तार किया है। आरोपी को गुरुवार को अदालत में पेश किया, जहां से उसे तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। जानकारी के अनुसार डा. अजय कुमार गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने स्वास्थ्य विभाग में निदेशक के पद पर रहते हुए आर्टेरिअल ब्लड गैस (एबीजी) की खरीद के लिए 4.25 लाख रुपए का कमीशन/रिश्वत ली थी।
बताया जा रहा है कि इन मशीनों की खरीददारी कोरोना महामारी के दौरान की गई थी। आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए अदालत में आवेदन किया था, लेकिन अदालत ने याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद विजिलेंस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। गौर हो कि एबीजी एक ऐसी परीक्षण की प्रक्रिया होती है, जो हमारे शरीर के रक्त की अम्लता या पीएच और ऑक्सीजन के स्तर को मापता है। इसके अलावा एबीजी परीक्षण रोगी के फेफड़ों के कार्य की जांच का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। एबीजी मशीन लेवल की जांच करना हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है, जिसकी सहायता से आपके फेफड़े कितनी अच्छी तरीके से ऑक्सीजन ग्रहण कर पा रहे हैं या नहीं, यह पता लगता है।
उधर, एडीजी विजिलेंस सतवंत अटवाल का कहना है कि विजिलेंस ने आरोपी डा. अजय कुमार गुप्ता के खिलाफ केस दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। एडीजी ने बताया कि अदालत में पेश करने पर आरोपी को चार फरवरी तक पुलिस रिमांड पर भेजने के आदेश दिए गए हैं। गौरतलब है कि पूर्व स्वास्थ्य निदेशक के खिलाफ साल 2020 में सोशल मीडिया पर कुछ पैसों की मांग करते हुए उसका ऑडियो वायरल हुआ था। मामले की जांच के दौरान उनके फोन में कुछ कॉल रिकॉर्डेड पाए गए। एक कॉल में वह इन मशीनों की खरीद के कमीशन और अपने रिश्तेदार के खाते में पैसे ट्रांसफर करने की चर्चा करते पाए गए थे। इस पर नया मामला दर्ज कर आगे की जांच की गई।