आवाज़ ए हिमाचल
बंगलूर। कोर्ट-कचहरी की लंबी कानूनी प्रक्रिया में कई बार आरोपी फैसला आने से पहले ही मर जाता है। ऐसी स्थिति में वह कानूनी शिकंजे से बच जाता है। साथ ही पीडि़त भी मन मसोस कर रह जाता है, लेकिन ऐसी स्थिति से जुड़े एक केस में अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि आरोपी की मौत होने पर उसकी संपत्ति या उसके उत्तराधिकारियों से जुर्माना वसूला जा सकता है। न्यायमूर्ति शिवशंकर अमरनवर की अध्यक्षता वाली पीठ ने हासन के दिवंगत टोटिल गौड़ा की याचिका पर गौर करते हुए यह आदेश दिया।
जिंदा रहते हुए उन्होंने यह अर्जी दाखिल की थी। खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को उसकी मौत के मामले में भी अदालत के आदेश के अनुसार जुर्माना भरने की जवाबदेही से छूट नहीं मिलेगी। याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद परिवार के किसी भी सदस्य ने मामले को जारी रखने के लिए याचिका प्रस्तुत नहीं की है। दिवंगत टोटाइल गौड़ा के वकील ने प्रस्तुत किया कि कानूनी उत्तराधिकारी याचिका को जारी नहीं रखना चाहते हैं। पीठ ने कहा कि संपत्ति के उत्तराधिकारी को जुर्माने का भुगतान करना चाहिए।