आवाज ए हिमाचल
जी डी शर्मा, राजगढ़। राजगढ-हाब्बन सड़क पर स्तिथ देव स्थली गुरुकुलम राजगढ़ में राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा के सौजन्य से दो दिवसीय लघु गुरूकुल का आयोजन किया गया।
यह जानकारी देते हुये आर्य चैतन्य ने बताया कि इस दो दिवसीय लघु गुरूकुल में जिन रोचक विषय पर चर्चा हुई उसमें मेरा जीवन क्या है? इसमें सबसे महत्वपूर्ण क्या है, ईश्वर का अस्तित्व है या नहीं? अगर है तो उसका स्वरुप क्या है, उसे मानने से क्या लाभ है, धर्म क्या है, मत, पंथ, संप्रदाय है, भाग्य क्या होता है? और यहां कौन लिखता है? भूत पिशाच डाकिनी शाकिनी जिन्न आदि होते हैं या नहीं? हमारे राष्ट्र की गुलामी का क्या कारण था? हमारे स्वंय के प्रति तथा राष्ट्र व समाज के प्रति क्या कर्तव्य है? उन्नत समाज व वैभवशाली राष्ट्र बनाने के क्या उपाय हैं? आदि विषय शामिल हैं। इसके साथ-साथ इस दिव्य कार्यक्रम में अनेक विद्वानों द्वारा जीवन विज्ञान, शरीर विज्ञान, मनो-विज्ञान, अध्यात्म विज्ञान, संस्कार विज्ञान, कर्मफल विज्ञान, संबंध विज्ञान, परिवार विज्ञान, समाज विज्ञान, संस्कृति विज्ञान, राष्ट्र धर्म, मानव धर्म, वैश्चिक धर्म, संतान निर्माण धर्म, इतिहास विज्ञान, वैदिक विज्ञान आदि विषयों पर चर्चा व व्याख्यान दिये गए।
यहां काबिले जिक्र है कि देव स्थली गुरूकुलम में 6 वर्ष के बालक का प्रवेश होता है और छात्रों के सुसंस्कार निर्माण के साथ सर्वांगीण विकास किया जाता है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में प्रतिदिन हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। दो दिवसीय इस धार्मिक आयोजन को सफल बनाने के लिए आचार्य विवेक चैतन्य ने अपने शिष्यों के साथ-साथ 10 दिनों तक गांव गांव व घर-घर पैदल चल कर प्रचार-प्रसार किया।