आवाज़ ए हिमाचल
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मांझी खड्ड पर कंकरीट का पुल डालकर गगल एयरपोर्ट का विस्तार किया जाएगा। एयरपोर्ट के विस्तार को लेकर भारतीय विमानन प्राधिकरण केंद्रीय जल और विद्युत अनुसंधान केंद्र (सीडब्ल्यूपीआरएस) पुणे की टीम ने हरी झंडी दे दी है। मांझी खड्ड पर कितने मोटे कंकरीट का प्रयोग होगा, अब इस पर रिपोर्ट बनेगी। वर्तमान में गगल एयरपोर्ट का रनवे 1,330 मीटर है। पहले चरण में रनवे को 1,900 मीटर किया जाएगा। दूसरे चरण में रनवे की लंबाई 3,010 मीटर की जाएगी।
विस्तारीकरण के बाद यहां 320 सीटर जहाज उतर पाएगा, जिससे दिल्ली से कांगड़ा के हवाई सफर का किराया आधा होने की संभावना रहेगी। बीते नवंबर में सीडब्ल्यूपीआरएस पुणे की टीम गगल एयरपोर्ट विस्तारीकरण की संभावनाएं तलाशने के लिए कांगड़ा पहुंची थी। इस दौरान टीम ने गगल एयरपोर्ट सहित साथ लगते क्षेत्रों, खड्डों और नालों का निरीक्षण किया था। टीम ने निरीक्षण के दौरान पाया था कि मांझी खड्ड सहित अन्य नालों का तटीकरण (चैनलाइजेशन) कर यहां पर एयरपोर्ट का विस्तार किया जा सकता है। अब टीम रिपोर्ट तैयार करेगी कि तटीकरण के दौरान कितना मोटा कंकरीट और सरिया आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है। टीम के पास अभी तक लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग से मांगा गया डाटा उपलब्ध नहीं हुआ है। सारा डाटा उपलब्ध होने के बाद अन्य प्रक्रियाओं को अमलीजामा पहनाया जाएगा। जिला पर्यटन अधिकारी विनय धीमान ने बताया कि पुणे की टीम ने गगल एयरपोर्ट के विस्तारीकरण को हरी झंडी दे दी है। अब टीम जल्द ही अन्य प्रक्रियाओं की रिपोर्ट तैयार करेगी।
दिल्ली-धर्मशाला के बीच होती हैं तीन उड़ानें
वर्तमान में दिल्ली-धर्मशाला के बीच गगल एयरपोर्ट पर तीन उड़ानें लैंड और टेकऑफ होती हैं। इसके अलावा शिमला के लिए भी यहां से उड़ानें होती हैं। गगल एयरपोर्ट का विस्तार होता है तो यहां पर्यटन कारोबार को भी पंख लगेंगे।
नौ पंचायतों के हजारों लोग होंगे प्रभावित
गगल एयरपोर्ट के विस्तारीकरण से करीब नौ पंचायतों के हजारों लोग प्रभावित होंगे। ग्राम पंचायत गगल, नंदेहड़, सनौरा, सहौड़ा, इच्छी, ढुगियारी, बैदी, भेड़ी व रछियालु के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। हाल ही में मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने भी पौंग बांध की खाली पड़ी जमीन पर एयरपोर्ट बनाने की बात कहकर एक नया मुद्दा छेड़ दिया है।